बहन से ही रुष्ठ हो गई थी देवी चामुंडा, आसपास होने के बावजूद विपरीत दिशाओं में स्थित है दो शक्तिपीठ

बहन से ही रुष्ठ हो गई थी देवी चामुंडा, आसपास होने के बावजूद विपरीत दिशाओं में स्थित है दो शक्तिपीठ

बहन से ही रुष्ठ हो गई थी देवी चामुंडा, आसपास होने के बावजूद विपरीत दिशाओं में स्थित है दो शक्तिपीठ
Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 pm IST
Published Date: July 11, 2020 9:30 am IST

धर्म। सनातन धर्म में अनादि काल से शक्ति की उपासना होती आ रही है। सर्वोच्च शक्ति के रूप में पूजे जाने वाली आदि शक्ति दुर्गा को विभिन्न स्वरूपों में पूजा जाता हैं। उनके कई रूप हैं और उन्हीं में से एक है चामुंडा का । माता तुलजा भवानी मां चामुंडा की बड़ी बहन हैं, इसलिए उन्हें बड़ी माता के नाम से जाना जाता है । देवास में स्थित प्राचीन मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पहले मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा दोनों एक दूसरे के पास में विराजमान थीं, लेकिन धीरे-धीरे श्रद्धालुओं के बीच तुलजा भवानी की ख्याति बढ़ने लगी, जिससे नाराज़ होकर छोटी बहन देवी चामुंडा पर्वत को चीरकर दूसरी ओर चली गईं । बड़ी माता तुलजा भवानी के पीछे पर्वत पर पड़ी इस दरार को इसी कहानी से जोड़कर देखा जाता है।

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हालांकि दोनों बहनों की शक्तिपीठ अब भी पास-पास ही हैं, लेकिन जहां तुलजा भवानी दक्षिण की ओर मुंह की हुई हैं तो वहीं देवी चामुंडा उत्तरमुखी होकर टेकरी पर विराजमान हैं। माता टेकरी में आने पर दर्शन परिक्रमा देवी तुलजा भवानी से शुरू होती है और देवी चामुंडा के दर्शन के साथ पूरी होती है।

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टेकरी में विराजित छोटी माता यानी देवी चामुंडा पवार राजवंश की कुलदेवी हैं, उनके दर्शन करने वाला भक्त बड़ी माता यानी तुलजा भवानी के भी दर्शन ज़रूर करता है । तुलजा भवानी मराठों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में जानी जाती हैं। इसके साथ ही उसे भैरव बाबा का भी दर्शन करना भी अनिवार्य होता है, तब जाकर माता टेकरी का दर्शन पूरा होता है।

देवास शहर, राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा-मुंबई से जुड़ा हुआ है। यह मार्ग माता की टेकरी के नीचे से ही गुजरता है। इसके निकटतम बड़ा शहर इंदौर है, जो यहाँ से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इंदौर से आप बस या टैक्सी लेकर देवास जा सकते हैं।

 


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