Lathmar Holi of Barsana and Nandgaon

Lathmar Holi 2024 : बरसाना और नंदगाँव की लट्ठमार होली, पौराणिक कथाओं में भी है वर्णन, जानें कैसे खेली जाती है ये HOLI

Lathmar Holi of Barsana and Nandgaon: लट्ठमार होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है। यह बरसाना और नंदगाँव में विशेष रूप से मनाया जाता है।

Edited By :   Modified Date:  March 4, 2024 / 06:04 PM IST, Published Date : March 4, 2024/6:04 pm IST

Lathmar Holi of Barsana and Nandgaon : मार्च के महीने की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक दृष्टि से यह महीना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। खासतौर पर होली जैसा बड़ा पर्व इस माह में मनाया जाता है। होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा। इसलिए रंगनी धूलिवंदन 25 मार्च को खेला जा सकता है। देशभर में रंगों के साथ होली मनाई जाती है। देश में कई तरह की होली खेली जाती है। मथुरा वृंदावन में लठ मार, फूलों की होली पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी पहचानी जाती है।

read more : Shmashan Ki Holi : यहां खेली जाती है मुर्दों की राख से होली, अघोरी-साधु होते हैं शामिल, उत्सव देखने आते हैं विदेशों के हजारों लोग.. 

मथुरा, वृन्दावन और बरसाना की होली

मथुरा, वृन्दावन और बरसाना की होली विश्व प्रसिद्ध है जहां भगवान कृष्ण और राधा सखियों और गोपियों के साथ खेलते हैं। ब्रज की होली दुनिया में सबसे फेमस है क्योंकि यहां होली 10 दिनों तक मनाई जाती है। इस दौरान आप यहां के किसी भी मंदिर में जा सकते हैं जहां आप होली मना सकते हैं।

 

बरसाना और नंदगाँव की लट्ठमार होली

लट्ठमार होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है। यह बरसाना और नंदगाँव में विशेष रूप से मनाया जाता है। इन दोनों ही शहरों को राधा और कृष्ण के निवास स्थान के रूप में भी जाना जाता है। लट्ठमार होली हर साल होली के त्योहार के समय बरसाना और नंदगाँव में खेला जाता है। इस समय हजारों श्रद्धालु और पर्यटक देश-विदेश से इस त्योहार में भाग लेने के लिए यहाँ आते हैं। यह त्योहार लगभग एक सप्ताह तक चलता है और रंग पंचमी के दिन समाप्त हो जाता है।

 

आमतौर पर बरसाना की लट्ठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंदगाँव के ग्वाल बाल बरसाना होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन शुक्ल दशमी को ठीक इसके विपरीत बरसाना के ग्वाल बाल होली खेलने नंदगाँव जाते हैं। इस दौरान इन ग्वालों को होरियारे और ग्वालिनों को हुरियारीन के नाम से सम्बोधित किया जाता है।

 

लट्ठमार होली की उत्पत्ति

लट्ठमार होली की उत्पत्ति के विषय में पौराणिक कथाओं में विस्तार से वर्णन दिया गया है, जो मूलतः राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंगों से जुड़ा है। कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण और उनके मित्र नंदगाँव से अपनी प्रेमिका राधा और उनकी सखियों पर रंगों का छिड़काव करने के लिए बरसाना आते हैं। लेकिन जैसे ही कृष्ण और उनके मित्र बरसाना में प्रवेश करते हैं तो वहाँ राधा और उनकी सखियाँ उनका लाठियों से स्वागत करती हैं। इसी हास्य विनोद का अनुसरण करते हुए, हर साल होली के अवसर पर नंदगाँव के ग्वाल बाल बरसाना आते हैं और वहाँ की महिलाओं द्वारा रंग और लाठी से उनका स्वागत किया जाता है।

 

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

 
Flowers