Lohri 2025 : ‘सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन बेचारा हो। दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले ती विआई हो’.. जाने लोहरी पर क्यों गाया जाता है ये गीत?
'Sundar Mundariya Ho, Tera Kaun Bechara Ho. Dulla Bhatti Wala Ho, Dulla Ti Vii Ho'.. Know why this song is sung on Lohri?
Lohri - Sundar Mundariya Ho
Lohri 2025 : यह त्योहार किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह कठोर सर्दियों के अंत का प्रतीक है और आने वाले वसंत के लंबे, धूप वाले दिनों का स्वागत करता है। लोहड़ी का अर्थ – ल (लकड़ी), ओह (गोह मतलब सूखे उपले) और ड़ी (रेवड़ी), इसलिए इस दिन मूंगफली, तिल, गुड़, गजक, चिड़वे, मक्के को लोहड़ी की आग पर से वारना करके खाने की परंपरा है। लोहड़ी का त्योहार हर साल 13 जनवरी को बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी भारत में सबसे ज़्यादा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। खास तौर पर देश के उत्तरी भागों में। लोहड़ी का त्योहार फसल की कटाई और बुआई की खुशी में मनाया जाता है, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में इसे बड़ ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी रबी की फसल की कटाई और सर्दियों के दिनों के अंत का प्रतीक है । लोग सूर्य और अग्नि की पूजा करते हैं और अच्छी फसल के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं।
Lohri 2025
लोहड़ी को मनाने का सभी का अपना तरीका है लेकिन कुछ ऐसी परंपराएं हैं, जिन्हें लगभग हर कोई ही निभाता है। इनमें से एक परंपरा है लोहड़ी पर आग जलाकर दुल्ला भट्टी के गीत गाना। लोहड़ी पर लोग आग जलाकर दुल्ला भट्टी का गीत ‘सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन बेचारा हो। दुल्ला पठी वाला हो, दुल्ले ती विआई हो.. गीत गाते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है आखिर दुल्ला भट्टी कौन हैं? जिन्हें लोहड़ी पर गीत द्वारा याद किया जाता है। आइए, जानते हैं कौन है दुल्ला भट्टी और क्या है उनकी कहानी।
Lohri 2025 : यहाँ प्रस्तुत है लोहरी पर गाये जाने वाला गीत
Lohri 2025
हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार का उल्लास पंजाब, हरियाणा में ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में देखने को मिल रहा है। मकर संक्रांति के एक दिन पहले होने वाले इस पर्व को रिश्तों को जोड़ने वाला पर्व भी माना जाता है क्योंकि शाम के समय पूरा परिवार, दोस्त और करीबी मिलकर लोहड़ी मनाते हैं। लोहड़ी के दिन से 15 दिन पहले से बालक एवं बालिकाएँ लोकगीत गाकर लोहड़ी के लिए लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। इस अवसर पर विवाहिता महिलाओं के मयके से वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फलादि तथा अन्य उपहार भेजे जाते हैं।
Lohri 2025 : आईये जानते हैं कि कौन हैं दुल्ला भट्टी,, लोहरी पर क्यों गाया जाता है ये गीत?
दुल्ला भट्टी की कहानी
मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब के नायक दुल्ला भट्टी ने दो लड़कियों, सुंदरी और मुंदरी को गुलामी से बचाया और उनकी शादी करवाई। संदल बार में लड़कियों को जबरन बेचा जाता था। लड़कियों के होने वाले ससुराल वाले अकबर के डर से शादी से पीछे हट गए थे। दुल्ला भट्टी ने एक योजना बनाई। उन्होंने ब्राह्मण की मदद से लड़के वालों को मनाया। फिर एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी की शादी हिन्दू लड़कों से करवाई। दुल्ला भट्टी ने कन्यादान किया और शगुन में शक्कर दी। यह कहानी लोहड़ी पर्व से जुड़ी है। लोहड़ी पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाती है। उत्तर भारत में भी यह त्यौहार मनाया जाता है।
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यह घटना लोहड़ी के त्योहार से जुड़ी हुई है। पंजाब के बुजुर्ग लोग लोहड़ी की आग के पास बैठकर यह कहानी सुनाते हैं। साथ ही दुल्ला भट्टी का गीत ‘सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन बेचारा हो’ गाया जाता है। दुल्ला भट्टी की यह कहानी उनकी वीरता और दयालुता को दर्शाती है। यह कहानी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। यह हमें दूसरों की मदद करने की प्रेरणा देती है। हर साल लोहड़ी की आग के साथ दुल्ला भट्टी की कहानी भी रौशन होती है। लोहड़ी खुशियों और उम्मीदों का प्रतीक है।
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