Satyanarayan Bhagwan ki Katha : सुख समृद्धि व मोक्ष प्राप्ति के लिए ज़रूर पढ़े श्री सत्यनारायण कथा का पाँचवा अध्याय और पाएं लाभ

To attain happiness, prosperity and salvation, do read the fifth chapter of Shri Satyanarayan Katha and get benefits

Satyanarayan Bhagwan ki Katha : सुख समृद्धि व मोक्ष प्राप्ति के लिए ज़रूर पढ़े श्री सत्यनारायण कथा का पाँचवा अध्याय और पाएं लाभ

Satyanarayan Vrat Katha - Panchwa Adhyay

Modified Date: June 23, 2025 / 02:25 pm IST
Published Date: June 23, 2025 2:25 pm IST

Satyanarayan Bhagwan ki Katha : सत्यनारायण कथा का पांचवां अध्याय भगवान सत्यनारायण की महिमा और कृपा का वर्णन करता है। कैसे राजा तुंगध्वज और साधु नामक वैश्य ने सत्यनारायण की पूजा करके अपने जीवन को सफल बनाया और अंत में मोक्ष प्राप्त किया। यह अध्याय उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष चाहते हैं। सत्यनारायण की कृपा से मनुष्य भयमुक्त जीवन जीता है तथा वह अनेक जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। आईये यहाँ प्रस्तुत है श्री सत्यनारायण कथा का पांचवा अध्याय:

Satyanarayan Bhagwan ki Katha

श्री सत्यनारायण व्रत कथा – पञ्चम अध्याय
श्री सूतजी बोले, “हे ऋषिगण! मैं एक और कथा कहता हूँ, आप सभी ध्यान से सुनो- सदा प्रजा के लिये चिन्तित तुङ्गध्वज नाम का एक राजा था। उसने भगवान सत्यनारायण का प्रसाद त्यागकर बहुत कष्ट पाया। एक समय राजा वन में वन्य पशुओं को मारकर बड़ के वृक्ष के नीचे आया। वहाँ उसने ग्वालों को भक्ति-भाव से बन्धु-बान्धवों सहित श्री सत्यनारायणजी का पूजन करते देखा। परन्तु राजा देखकर भी अभिमान के कारण न तो वहाँ गया और न ही सत्यदेव भगवान को नमस्कार ही किया। जब ग्वालों ने भगवान का प्रसाद उसके सामने रखा तो वह प्रसाद छोड़कर अपने नगर को चला गया। नगर में पहुँचकर उसने देखा कि उसका सारा राज्य नष्ट हो गया है। वह समझ गया कि यह सब भगवान सत्यदेव ने रुष्ट होकर किया है। तब वह वन में वापस आया तथा ग्वालों के समीप जाकर विधिपूर्वक पूजन कर प्रसाद ग्रहण किया तो सत्यनारायण की कृपा से सब-कुछ पहले के समान ही हो गया तथा दीर्घ काल तक सुख भोगकर मरणोपरान्त वह मोक्ष को प्राप्त हुआ।

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Satyanarayan Bhagwan ki Katha

जो मनुष्य इस श्रेष्ठ दुर्लभ व्रत को करेगा, श्री सत्यनारायण भगवान की कृपा से उसे धन-धान्य कोई अभाव नहीं होगा। निर्धन, धनी एवं बन्दी, बन्धनों से मुक्त होकर निर्भय हो जाता है। सन्तानहीन को सन्तान प्राप्त होती है तथा समस्त इच्छायें पूर्ण कर अन्त में वह बैकुण्ठ धाम को जाता है।

Satyanarayan Bhagwan ki Katha

अब उनके विषय में भी जानिये, जिन्होंने पहले इस व्रत को किया, अब उनके दूसरे जन्म की कथा भी सुनिये।

शतानन्द नामक वृद्ध ब्राह्मण ने सुदामा के रूप में जन्म लेकर श्रीकृष्ण की भक्ति एवम् सेवा कर बैकुण्ठ प्राप्त किया। उल्कामुख नामक महाराज का राजा दशरथ के रूप में जन्म हुआ तथा वह श्री रङ्गनाथ भगवान का पूजन कर मोक्ष को प्राप्त हुये। साधु नाम के वैश्य ने धर्मात्मा तथा सत्यप्रतिज्ञ राजा मोरध्वज बनकर अपने पुत्र को आरे से चीरकर बैकुण्ठ धाम प्राप्त किया। महाराज तुङ्ग्ध्वज स्वयम्भू मनु बने तथा उन्होंने बहुत से लोगों को भगवान की भक्ति में लीन कराकर बैकुण्ठ धाम प्राप्त किया। लकड़हारा अगले जन्म में गुह नामक निषाद राजा बना, जिसने भगवान राम के श्री चरणों की सेवा कर अपने सभी जन्मों का उद्धार कर लिया।

॥ इति श्री सत्यनारायण व्रत कथा पञ्चम अध्याय सम्पूर्ण ॥

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.