Sheetala Ashtami 2025: शीतलाष्टमी पर इस विधि से करें माता शीतला की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा करने का तरीका
Sheetala Ashtami 2025: शीतलाष्टमी पर इस विधि से करें माता शीतला की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व Sheetala Ashtami Muhurat and Puja Vidhi
Sheetala Ashtami Muhurat and Puja Vidhi| Photo Credit: Pinterest
- कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 04:23 मिनट पर शुरू होगी
- शीतलाष्टमी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें
- माता शीतला की पूजा और व्रत करने से चेचक के साथ ही अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता
Sheetala Ashtami Muhurat and Puja Vidhi: सनातन धर्म में शीतलाष्टमी का विशेष महत्व है। इसे बसौड़ा भी कहा जाता है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शीतला माता की पूजा की जाती है और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और अन्य उत्तरी क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि, इनकी पूजा और व्रत करने से चेचक के साथ ही अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है।
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शीतलाष्टमी मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 21 मार्च को देर रात 02:45 मिनट पर शुरू होगी और 22 मार्च को सुबह 04:23 मिनट पर समाप्त होगी। शीतला सप्तमी पर पूजा के लिए शुभ समय 21 मार्च को सुबह 06:24 मिनट से लेकर शाम 06:33 मिनट तक है। वहीं, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 04:23 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 23 मार्च को सुबह 05:23 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन ही बसौड़ा मनाया जाएगा।
बसौड़े का भोग लगाने की परंपरा
शीतला सप्तमी के अगले दिन शीतला अष्टमी पर माता को बसौड़े का भोग चढ़ाया जाता है। आमतौर पर, इसमें गुड़-चावल या गन्ने के रस से बनी खीर होती है। इस दिन ताजा भोजन बनाने की मनाही होती है, और सभी भक्त इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं।
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शीतलाष्टमी पूजा विधि
- शीतलाष्टमी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें।
- पूजा स्थल पर लाल वस्त्र बिछाकर माता शीतला की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- माता को जल अर्पित करें और हल्दी, चंदन, सिंदूर से श्रृंगार करें।
- लाल फूल अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं।
- श्रीफल और चने की दाल का भोग चढ़ाकर आरती करें।
- माता शीतला को प्रणाम कर आशीर्वाद लें।

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