तीन नदियां पखारती हैं कुलेश्वर महादेव मंदिर के पैर, अति प्राचीन मंदिर में उमड़ता है भक्तों का सैलाब

तीन नदियां पखारती हैं कुलेश्वर महादेव मंदिर के पैर, अति प्राचीन मंदिर में उमड़ता है भक्तों का सैलाब

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  • Publish Date - May 29, 2020 / 04:00 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:58 PM IST

राजिम। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नजदीक राजिम में कुलेश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर स्थित है। महानदी, पैरी और सोंढूर नदियां सदियों से इस मंदिर के पांव पखारती रही हैं। इतिहासकार इसे 8वीं सदी में बना मंदिर मानते हैं, जबकि जनश्रुति ये है कि त्रेतायुग में माता सीता ने अपने हाथों से कुलेश्वरनाथ की स्थापना की थी। कुलेश्वर मंदिर की वास्तु योजना विलक्षण है। इसे अष्टकोणीय अधिष्ठान पर स्थापित किया गया है। अधिष्ठान की नींव इतनी मजबूत है कि सदियों से महानदी की प्रबल धाराएं इससे टकरा रही हैं, इसके बावजूद ये अडिग खड़ा हुआ है।

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कुलेश्वर मंदिर के ऊंचे अधिष्ठान पर तीन तरफ़ से सीढ़ियां बनाई गई हैं, जिनसे होकर श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचते हैं। कुलेश्वर महादेव को उत्पलेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है। महाशिवरात्रि के मौके तो यहां श्रद्धालु का हुजूम उमड़ पड़ता है, वहीं आम दिनों में भी यहां शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। केवल आम श्रद्धालु ही नहीं बल्कि साधु-संतों की मौजूदगी भी हमेशा कुलेश्वर मंदिर के आसपास बनी रहती है।

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कुलेश्वर मंदिर परिसर में पीपल का एक विशाल पेड़ भी है, जिसकी छाया में कई प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर के ऊंचे अधिष्ठान से देखने पर महानदी का चौड़ा पाट और उसमें दूर-दूर तक फैली रेत दुर्लभ नज़ारे पेश करती है। कुलेश्वर धाम सदियों से शिव के रंग में रंगा हुआ है । यही वजह है कि यहां आने वाले श्रद्धालु भी महादेव की आस्था ज्योति से आलोकित हो उठते हैं।