Navratri Day 2 Maa Brahmacharini: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना

Navratri Day 2 Maa Brahmacharini: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना

Navratri Day 2 Maa Brahmacharini: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना

Navratri Day 2 Maa Brahmacharini/ Image Credit: IBC24 File

Modified Date: March 31, 2025 / 03:49 pm IST
Published Date: March 31, 2025 3:49 pm IST
HIGHLIGHTS
  • नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।
  • मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत पवित्र और दिव्य है।
  • मां ब्रह्मचारिणी साधना और तपस्या की प्रेरणा देने वाली हैं।

नई दिल्ली। Navratri Day 2 Maa Brahmacharini: कल 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। इसका समापन 07 अप्रैल को होगा। ऐसे में देशभर के देवी मंदिरों में मां दुर्गा की उपासना की जाएगी। नवरात्रि का व्रत साल में चार बार रखा जाता है, जिसमें से दो बार प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं। शारदीय और चैत्र नवरात्रि को छोड़कर दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। वहीं चैत्र नवरात्रि चैत्र महीने में पड़ती है। इसकी शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और नवमी तिथि पर समापन होता है। नवरात्रि के पहले दिन आज माता शैल पुत्री की पूजा की जाती है। वहीं नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत पवित्र और दिव्य है। मां का वर्णन शास्त्रों में ऐसी देवी के रूप में किया गया है, जो साधना और तपस्या की प्रेरणा देने वाली हैं। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में जलपात्र होता है।

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करें इन मंत्रों का जाप

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
दधाना काभ्याम् क्षमा कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

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ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:

ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।


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