Vinayak Chaturthi 2025 : शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी आज, श्री गणेश की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना
Vinayak Chaturthi 2025 : शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी आज, श्री गणेश की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना
Vinayak Chaturthi 2025 । Image Credit: IBC24 File
- विनायक चतुर्थी आज।
- इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
- उनकी पूजा से जीवन से सभी बाधाएं दूर होती है।
नई दिल्ली। Vinayak Chaturthi 2025 : हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है। वे सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करने वाला देवता माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो गणेश चतुर्थी पड़ती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है तो वहीं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। मान्यता के अनुसार, जो भी इस दिन भगवान गणेश की उपासना करते हैं, उनके जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। ऐसे में आज विनायक चतुर्थी है। तो चलिए जानते हैं जून माह में कब मनाई जाएगी विनायक चतुर्थी।
तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 28 जून को सुबह 09 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। वहीं अगले दिन यानी, 29 जून को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी। ऐसे में 28 जून को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। वहीं शुभ मुहूर्त करीब सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि
विनायक चतुर्थी पर सुबह सबसे पहले स्नान करके सूर्यदेव को जल देना चाहिए।
इसके बाद घर साफ करके पंचोपचार कर पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
भगवान गणेश को पीले वस्त्र, दूर्वा, हल्दी मोदक आदि चढ़ाना चाहिए।
भगवान गणेश की आरती देशी घी का दिया जलाकर करनी चाहिए।
मंत्रों का जप करना चाहिए, साथ ही गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
विनायक चतुर्थी का महत्व
मान्यता के अनुसार, यह व्रत संतान की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख- समृध्दि के लिए रखा जाता है। इस व्रत के लाभ से जीवन में चली रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है साथ ही कार्यक्षेत्र में उन्नति मिलती है।
Vinayak Chaturthi 2025 : इस मंत्र का करें जाप
1. क्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
2 . ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
3.ऊँ गं गणपतये नमो नमः
4.ॐ गं गणपतये नमः
5. “ॐ वक्रतुंडाय हुम्”

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