Bhupesh Sarkar made innovative efforts for the tribals

जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भूपेश सरकार ने किया अभिनव प्रयास, इन योजनाओं से खिल उठे आदिवासियों के चेहरे

Bhupesh Sarkar made innovative efforts for the tribals जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भूपेश सरकार ने किया अभिनव प्रयास

Edited By :   Modified Date:  May 27, 2023 / 02:05 PM IST, Published Date : May 25, 2023/8:57 pm IST

Bhupesh Sarkar made innovative efforts for the tribals: रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य एक जनजाति बाहुल्य राज्य है। छत्तीसगढ़ में कुल 42 जनजातियां पाई जाती हैं। छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजाति गोंड है, इसके अतिरिक्त कँवर, बिंझवार, भैना, भतरा, उरांव, मुंडा, कमार, हल्बा, बैगा, भरिया, नगेशिया, मंझवार, खैरवार और धनवार जनजाति भी काफी संख्या में है।

छत्ती​सगढ़ में इन जनजातियों के विकास के लिए यहां की सरकार कई योजनाओं की शुरुआत की। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कल्याण हेतु आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण विकास विभाग से विभिन्न कल्याणकारी विकासशील कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं। विभागीय कार्यक्रमों में शैक्षणिक योजनाएं प्रमुख हैं।

विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति उपयोजना क्षेत्र/अनुसूचित क्षेत्रों में शालाओं के संचालन के साथ विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों का वितरण, आवासीय संस्थाओं का संचालन के साथ विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों का वितरण, आवासीय संस्थाओं का संचालन एवं शैक्षणिक प्रोत्साहन देने वाली योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है। विभाग द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के परिवारों के लिए आर्थिक सहायता एवं सामाजिक विकास की योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं।

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राज्य के सर्वागींण विकास में आदिम जाति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आर्थिक विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाएं का महत्वपूर्ण स्थान हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं लागू की गई जिनमें विभागिय योजनाएं प्रमुख हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के आदिमजाति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आर्थिक विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाएं —

मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज की संस्कृति और पर्वों की परम्परा के संरक्षण के लिए ‘मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना’ की घोषणा की थी। वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में इस योजना के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह योजना छत्तीसगढ़ के समस्त अनुसूचित क्षेत्र (अनुसूचित जनजाति विकासखण्ड) में लागू की गई। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए बस्तर संभाग के 1840 ग्राम पंचायतों को 5-5 हजार रुपए की अनुदान राशि जारी की गई है।

मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना

मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना के माध्यम से राज्य के सभी प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति से संबंधित सभी मेधावी विद्यार्थियों को योजना से लाभान्वित किया जाता है। 60% अंक से अधिक हासिल करने वाले विद्यार्थियों को योजना के तहत 15 हजार रुपए तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।

आदिवासी स्वरोजगार योजना

आदिवासी स्वरोजगार योजना छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति (ST) के बेरोजगार युवक-युवतियों जोकि 18 साल से लेकर 45 वर्ष की उम्र के बीच है, उन्हें आजीविका चलाने हेतु स्वरोजगार प्रारंभ करने के लिए यह Loan योजना प्रारंभ किया गया। इस योजना के अंतर्गत 20 हजार से 10 लाख तक लोन दिया जाता है जिसमे अधिकतम 10,000 रुपए का अनुदान राशि दिया जाता है।

देवगुड़ी योजना

छत्तीसगढ़ में आदिवासी संस्कृति का परीक्षण एवं विकास योजना अंतर्गत आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासियों के पूजा एवं श्रद्धा स्थलों के निर्माण एवं मरम्मत योजना 2006-7 में शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत देव गुड़ी निर्माण या मरम्मत हेतु वर्ष 2017-18 से प्रति देव गुड़ी राशि ₹100000 शासन द्वारा प्रदान की जाती है।

देव गुड़ी योजना की शुरुआत आदिवासी संस्कृति को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से 2006-7 में की गई थी। इस योजना के अंतर्गत 2017-18 से देव गुड़ी निर्माण या मरम्मत कार्य हेतु ₹1लाख प्रदान की जाती है। पोर्टल में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में 400 देवगुड़ी के लिए 400. 00 लाख रुपए शासन द्वारा स्वीकृत की गई थी।

अनुसूचित जाति/जनजाति/ओबीसी के छात्रों के लिए पोस्ट–मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना

इस स्कॉलरशिप योजना में भी अनुसूचित जाति/जनजाति एवं ओबीसी श्रेणी के लोग शामिल हैं, और इसे भी अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण विभाग के तहत चलाया जा रहा है। इस योजना के तहत वे छात्र एवं छात्राएं जो कि एसटी/एससी श्रेणी के हैं और हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। उन्हें प्रतिवर्ष 3800 रुपए और जो हॉस्टल में नहीं रह रहे हैं उन्हें 2250 रुपए छात्रवृत्ति के रूप में दिए जा रहे हैं।

पंडित जवाहर लाल नेहरू उत्कर्ष योजना

पंडित जवाहर लाल नेहरू उत्कर्ष योजना छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के प्रतिभावान विद्यार्थियों का सपना संजोने का कार्य कर रही है, जो विद्यार्थियों में नई सोच के साथ बेहतर कैरियर चयन का अवसर प्रदान करते हुए प्रतिस्पर्धी तथा बर्हिमुखी व्यक्तित्व विकास में महती भूमिका निभा रही है। इसी कड़ी में शासन की इस योजना का लाभ प्राप्त करते हुए दो होनहार विद्यार्थी चयनित होकर अपनी सफलता के मुकाम तक पहुंच चुके है।

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आदिवासी नृत्य महोत्सव

Bhupesh Sarkar made innovative efforts for the tribals: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल की विशेष पहल के बाद समृद्ध आदिवासी कला और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल रही है। आदिवासी नृत्य महोत्सव में अन्य राज्यों एवं विदेशों के भी कलाकार यहां आकर अपना अनोखा प्रदर्शन करते हैं। इससे देश के ही नहीं बल्कि विदेशों के आदिवासियों को भी प्रोत्साहन मिलता है। इस राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों की जीवनशैली भी अन्य नृत्य शैली में देखने को मिलती है।

छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत में समृद्ध है। राज्य में एक बहुत ही अद्वितीय और जीवंत संस्कृति है। इस क्षेत्र में 35 से अधिक बड़ी और छोटी रंगो से भरपूर जनजातियां फैली हुई हैं। उनके लयबद्ध लोक संगीत, नृत्य और नाटक देखना एक आनंददायक अनुभव है जो राज्य की संस्कृति में अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता हैं। राज्य का सबसे प्रसिद्ध नृत्य-नाटक पंडवानी है, जो हिंदू महाकाव्य महाभारत का संगीतमय वर्णन है। राउत नाचा (ग्‍वालों का लोक नृत्य), पंथी और सुआ इस क्षेत्र की कुछ अन्य प्रसिद्ध नृत्य शैली हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य न केवल अपनी समृद्ध विरासत के लिए लोकप्रिय है, बल्कि इस तथ्य के कारण भी है कि राज्य की संस्कृति रोमांचक के ढेरों में डूबी हुई है। इस विशाल नृत्य रूपों का श्रेय बड़ी संख्या में जनजातियों को समर्पित किया जा सकता है जो इस विशाल राज्य में एक साथ सद्भाव में रहते हैं।

कई वर्षों की अवधि में, छत्तीसगढ़ की आदिवासी आबादी ने अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं के आधार पर लोक-नृत्य प्रदर्शनों को विकसित करने में कामयाबी हासिल की है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश लोक नृत्य रूपों को ऋतुओं के परिवर्तन को दर्शाने के लिए, अनुष्ठानों के भाग के रूप में या देवताओं की श्रद्धा में किया जाता है।

 

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