अरूणाचल प्रदेश की रूपा चुनौतियों से लड़ते हुए बनी ताइक्वांडो चैम्पियन

अरूणाचल प्रदेश की रूपा चुनौतियों से लड़ते हुए बनी ताइक्वांडो चैम्पियन

  •  
  • Publish Date - May 23, 2024 / 05:21 PM IST,
    Updated On - May 23, 2024 / 05:21 PM IST

(पूनम मेहरा)

नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) अरूणाचल प्रदेश की रूपा बेयर बचपन से ही जिंदगी की चुनौतियों से लड़ते हुए बहुत हठी हो गयी थीं लेकिन इसकी वजह से ही इस ताइक्वांडो खेल में पहुंची और देश का नाम रोशन करने में सफल रहीं।

इस महीने के शुरू में वियतनाम के दनांग में आठवीं एशियाई ताइक्वांडो पूमसे चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली रूपा पिछले साल एशियाई खेलों में इसलिये हिस्सा नहीं ले पायी थीं क्योंकि चीन ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था।

रूपा अरूणाचल प्रदेश के सिप्पी गांव की हैं जहां यह खेल इतना लोकप्रिय नहीं है। यह पूछने पर कि वह इस खेल के प्रति कैसे आकर्षित हुईं तो 23 साल की इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैं छोटी छोटी बात पर लड़ने लगती थी, बहुत हठी और अड़ियल थी। ’’

लेकिन इसके लिए रूपा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि जब वह छोटी थीं तो उन्होंने अपने पिता को गंवा दिया था। इसलिये वह धान के खेतों में अपनी मां की मदद करती।

रूपा ने कहा, ‘‘मुझे अपने पिता की कोई स्मृति नहीं है, हालांकि मुझे उनका चेहरा अच्छी तरह याद है। मैं बहुत छोटी थी, जब उनका निधन हो गया था। मुझे वो दिन याद है। ’’

उन्होंने कह, ‘‘जब उनका निधन हुआ तो उन्हें जमींन पर चादर से ढककर रखा हुआ था और मुझे लगा था कि वो सो रहे हैं। मैंने लोगों को आकर शोक व्यक्त करते हुए देखा तो मुझे लगा कि कुछ हो गया है। ’’

रूपा ने कहा, ‘‘मैंने अपनी मां से पूछा कि क्या बात है और पापा हिलडुल क्यों नहीं रहे। उन्होंने मुझे बताया कि ‘तुम्हारे पिता का निधन हो गया है’। ’’

मुश्किलों का दौर शुरू हुआ और उनके मामा ने इस खेल से रूपा को उम्मीद जगायी।

क्रोएशिया में 2022 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाली रूपा ने कहा, ‘‘मेरे मामा कराटे मास्टर हैं, उन्होंने मुझे ट्रेनिंग देना शुरू किया क्योंकि उन्हें लगा कि मेरे गुस्से को कुछ उपयोगी तरीके से इस्तेमाल किया जा सके। और अंत में मैंने ताइक्वांडो को चुना क्योंकि मुझे लगा कि बतौर एथलीट इसमें मेरे लिए आगे बढ़ने का ज्यादा मौका है। ’’

रूपा अभी विश्व रैंकिंग में 13वें स्थान पर है और भारतीय पूमसे खिलाड़ी की यह सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है। इस समय यह गैर ओलंपिक वर्ग है जो एशियाई खेलों में ही शामिल है। वह अपना ज्यादातर समय मुंबई में इंडो कोरियन ताइंक्वांडो अकादमी में बिताती हैं।

भाषा नमिता सुधीर

सुधीर