नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) गुरुवार को यहां विशेष आम बैठक (एसजीएम) के दौरान अपनी महासभा में पुरुष और महिला सदस्यों को बराबर संख्या में प्रतिनिधित्व सहित अपने संविधान में कई आमूलचूल संशोधनों को शामिल करने के लिए तैयार है।
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) से निलंबन की धमकी का सामना करने वाले आईओए के पास अपने संविधान में बदलाव करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
न्यायालय द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार किए गए मसौदा संविधान को अपनाना आईओए के लिए महज एक औपचारिकता होने की संभावना है। इस मसौदा संविधान को आईओसी द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने 10 दिसंबर को आईओए चुनाव कराने को मंजूरी दे दी है।
मौजूदा महासचिव राजीव मेहता के बैठक की अध्यक्षता करने की उम्मीद है क्योंकि वह आईओसी के संपर्क में हैं।
महासभा में मतदान के अधिकार के मामले में लैंगिक समानता लाने के प्रावधान के अलावा आईओए के अध्यक्ष के पद को देश के किसी भी नागरिक के लिए खुला रखा जायेगा।
महासचिव का निर्वाचित पद अब नहीं रहेगा और उसकी भूमिका कार्यकारी परिषद द्वारा नियुक्त सीईओ संभालेंगे। सीईओ के पास मतदान का कोई अधिकार नहीं होगा और वह कार्यकारी परिषद के पदेन सदस्य होंगे।
कुछ सदस्य और अधिकारी हालांकि संविधान के मसौदे के कुछ प्रावधानों से खुश नहीं हैं। इसमें कार्यकाल नियम और अध्यक्ष पद के उम्मीदवार की पात्रता से जुड़ी कुछ सीमाओं को हटाना शामिल है। इन सदस्यों का मानना है कि इससे रसूखदार राजनेता या मजबूत राजनीतिक संबंध रखने वाले लोग शीर्ष पद पर काबिज हो सकते हैं।
ऐसे सदस्यों ने भी हालांकि संविधान में बदलाव को स्वीकार कर लिया है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘संशोधनों को कल पारित करना होगा। कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इसमें उच्चतम न्यायालय शामिल है और कोई भी न्यायालय के आदेश के खिलाफ कुछ नहीं कर सकता है। अगर संशोधनों को नहीं अपनाया गया और अगले महीने चुनाव नहीं हुए तो आईओसी आईओए पर प्रतिबंध लगा देगा।’’
भाषा आनन्द सुधीर
सुधीर
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