तोक्यो, 30 जुलाई ( भाषा ) अपना पहला ओलंपिक खेल रही लवलीना बोरगोहेन (69 किलो ) ने पूर्व विश्व चैम्पियन चीनी ताइपै की नियेन चिन चेन को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश के साथ तोक्यो ओलंपिक की मुक्केबाजी स्पर्धा में भारत का पदक पक्का कर दिया ।
असम की 23 वर्ष की मुक्केबाज ने 4 . 1 से जीत दर्ज की । अब उसका सामना मौजूदा विश्व चैम्पियन जुर्की की बुसानेज सुरमेनेली से होगा जिसने क्वार्टर फाइनल में अन्ना लिसेंको को मात दी ।
दो बार विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने जबर्दस्त संयम का प्रदर्शन करते हुए उस विरोधी को हराया जिससे वह पहले हार चुकी है ।
आक्रामक शुरूआत के बाद उसने आखिरी तीन मिनटों में अपना रक्षण भी नियंत्रित रखा और जवाबी हमलों में भी कोई चूक नहीं की ।
पिछले साल कोरोना संक्रमण की शिकार हुई लवलीना यूरोप में अभ्यास दौरे पर नहीं जा सकी थी । रैफरी ने जैसे ही विजेता के रूप में उनका हाथ उठाया, वह खुशी के मारे जोर से चीख पड़ी ।
भारत को इससे पहले ओलंपिक मुक्केबाजी में विजेंदर सिहं ( 2008 ) और एम सी मैरीकॉम (2012 ) ने कांस्य पदक दिलाये थे ।
इससे पहले सिमरनजीत कौर ( 60 किलो ) ओलंपिक खेलों में पदार्पण के साथ ही प्री क्वार्टर फाइनल में थाईलैंड की सुदापोर्न सीसोंदी से हारकर बाहर हो गई ।
चौथी वरीयता प्राप्त सिमरनजीत को 0 . 5 से पराजय का सामना करना पड़ा ।
पहले दौर में प्रभावी प्रदर्शन करते हुए उसने प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाने की कोशिश की और अच्छे जवाबी हमले बोले । जजों ने हालांकि सर्वसम्मति से थाई मुक्केबाज के पक्ष में फैसला दिया जिससे दूसरे दौर में सिमरनजीत के प्रदर्शन पर असर पड़ा ।
पहले कुछ सेकंड में अति आक्रामकता का खामियाता उसे भुगतना पड़ा । इसके साथ ही उसने रक्षण में भी चूक की । तीसरे दौर में उसने बराबरी की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
थाई मुक्केबाज दो बार की विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता है और उसने 2018 एशियाई खेलों में भी रजत पदक जीता था ।
भाषा मोना
मोना
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