कड़े अभ्यास का तोक्यो में फायदा मिला : पैरालंपिक तीरंदाज हरविंदर

कड़े अभ्यास का तोक्यो में फायदा मिला : पैरालंपिक तीरंदाज हरविंदर

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  • Publish Date - September 7, 2021 / 08:04 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) लॉकडाउन के दौरान पंजाब के अपने गांव में अपने खेत को अभ्यास स्थल में बदलने वाले भारत के पहले पैरालंपिक पदक विजेता तीरंदाज हरविंदर सिंह ने मंगलवार को अपनी सफलता का श्रेय कई घंटे के कड़े अभ्यास को दिया जिसमें मुकाबला ‘टाई’ होने की स्थिति में एकाग्रता बनाये रखकर सही शॉट लगाना भी शामिल था।

बचपन में इंजेक्शन के गलत प्रभाव के कारण 31 वर्षीय हरविंदर के पांवों ने काम करना बंद कर दिया था। उन्होंने हाल में समाप्त हुए तोक्यो पैरालंपिक खेलों में पुरुषों की व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था।

भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) की विज्ञप्ति के अनुसार हरविंदर ने कहा, ‘‘मैंने पिछले कुछ वर्षों से कड़ी मेहनत की थी। इनमें प्रतिदिन सात से आठ घंटे का अभ्यास भी शामिल है। मैंने मुकाबला टाई होने पर सटीक निशाना लगाने, सांसों पर नियंत्रण रखने और मानसिक अनुकूलन का भी अभ्यास किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपनी भावनाओं पर काबू रखने का भी अभ्यास किया और दबाव में शांतचित बना रहा जिसका मुझे तोक्यो में फायदा मिला। ’’

मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले हरविंदर जब डेढ़ साल के थे तब उन्हें डेंगू हो गया था। एक स्थानीय चिकित्सक ने उन्हें इंजेक्शन लगाया जिसका उल्टा प्रभाव पड़ा और उनके पांवों ने काम करना बंद कर दिया।

कांस्य पदक के प्लेऑफ में हरविंदर एक समय बढ़त पर थे जिसके बाद कोरिया के किम मिन सू ने पांचवां सेट जीता। इससे मुकाबला शूट ऑफ में चला गया जिसमें हरविंदर ने ‘परफेक्ट 10’ जमाया जबकि कोरियाई तीरंदाज आठ अंक ही बना सका। हरविदंर ने यह मुकाबला 26-24, 27-29, 28-25, 25-25, 26-27 (10-8) से जीता। पांच सेट के बाद यदि मुकाबला बराबर रहता है तो शूट ऑफ से निर्णय किया जाता है जिसमें एक तीर चलाना होता है।

हरविंदर ने कहा कि उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वह पैरालंपिक के पदक विजेता हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जो सपना मैंने लंबे समय से देखा था वह आखिर में सच हो गया। अब धीरे धीरे अहसास हो रहा है कि मैं पैरालंपिक का पदक विजेता हूं। मैं बहुत खुश हूं।’’

भाषा पंत सुधीर

सुधीर