सेन को अब रणनीतिक कौशल और सहनशक्ति बढ़ाने पर काम करना चाहिये: विमल

सेन को अब रणनीतिक कौशल और सहनशक्ति बढ़ाने पर काम करना चाहिये: विमल

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  • Publish Date - January 17, 2022 / 04:00 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:50 PM IST

… अमित कुमार दास…

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा)  इंडिया ओपन जीतने वाले लक्ष्य सेन के प्रदर्शन से प्रभावित भारत के पूर्व कोच विमल कुमार ने कहा कि इस युवा बैडमिंटन खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सहनशक्ति और रणनीतिक कौशल पर काम करने की जरूरत है। उत्तराखंड के इस 20 साल के खिलाड़ी ने विश्व चैम्पियन सिंगापुर के लोह कीन यू को पुरुष एकल के फाइनल में 24-22, 21-17 से हराकर रविवार को सुपर 500 स्तर के अपना पहला खिताब जीता । विमल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ लक्ष्य का रणनीतिक खेल काफी बेहतर था, मैच पर उसका नियंत्रण था और  उसने लोह को आक्रामक होने का मौका नहीं दिया। उसके जवाबी हमले और नेट ड्रिबल बेहतरीन थे। वह सामान्य एक्शन में सहजता से शटल को कोर्ट के पीछे की तरफ फ्लिक कर रहा था। कुल मिलाकर, उसने बहुत परिपक्व खेल खेला।’’ इस पूर्व ओलंपियन कहा, ‘‘ वह किसी भी दूसरे खिलाड़ी के भी बराबर है, लेकिन उसे अभी भी अपने रणनीतिक पक्ष, ताकत और ‘कंडीशनिंग’ पर काम करने की जरूरत है। वह नेट के आसपास स्थिरता बनाये रखने पर काम कर सकते हैं, उसकी सहनशक्ति और बेहतर हो सकती है। इसलिए, तकनीकी रूप से ऐसे सभी क्षेत्र हैं जहां वह सुधार कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वह अब यूरोप, थाईलैंड और जापान के कई युवा खिलाड़ियों के निशाने पर होगा। मैं 2024 ओलंपिक के बारे में बात करके उन पर दबाव नहीं बनाना चाहता लेकिन उसके लिए आगे की डगर मुश्किल होगी। यह इस पर निर्भर करेगा कि वह कितना अच्छा खेल सकता है, वह अपने शरीर की कितनी अच्छी देखभाल कर सकता है।’’ सेन को चयन ट्रायल के राउंड-रोबिन दौर में साइ चरण कोया से हारने के बाद सुदीरमन कप  और थॉमस कप फाइनल्स की टीम में नहीं चुना गया था। दुबई में ओलंपिक चैंपियन विक्टर एक्सेलसेन और लोह कीन यू के साथ एक अभ्यास शिविर में भाग लेने के बाद उन्होंने फिर से लय हासिल कर ली । बेंगलुरु में ‘पादुकोण द्रविड़ सेंटर फॉर एक्सीलेंस (पीडीसीई)’ में छोटी उम्र से सेन का मार्गदर्शन करने वाले विमल ने कहा, ‘‘ सुदीरमन कप और थॉमस कप से बाहर होने के बाद वह टूट गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन तब (विक्टर) एक्सेलसन ने उसे फोन किया और दुबई में दो सप्ताह के प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया। वहां लोह भी था। इसलिए सेन ने वहां रह कर अभ्यास किया।  उस शिविर ने उसकी निराशा को दूर करने में मदद की।’’ इसके बाद सेन ने डच ओपन में फाइनल में प्रवेश किया, जापान के केंटो मोमोटा के खिलाफ कुछ करीबी मैच खेले, हाइलो में सेमीफाइनल में पहुंचे, विश्व टूर फाइनल में नॉकआउट चरण में पहुंचे और फिर पहली बार में ही विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले तीन महीने, यूरोप सर्किट के शुरू होने से ही सेन लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। यह जरूरी है कि उसके खेल में निरंतरता बरकरार रहे। उसके प्रदर्शन से यह पता चलेगा कि उसके खेल का क्या स्तर है।’’ भाषा आनन्द आनन्द मोनामोना