आशा कार्यकर्ता की मौत टीका लगने से नहीं बल्कि मस्तिष्काघात से हुई: पोस्टमार्टम रिपोर्ट

आशा कार्यकर्ता की मौत टीका लगने से नहीं बल्कि मस्तिष्काघात से हुई: पोस्टमार्टम रिपोर्ट

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  • Publish Date - February 2, 2021 / 04:05 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:23 PM IST

अमरावती, दो फरवरी (भाषा) आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में 44 वर्षीय एक आशा कार्यकर्ता की मौत कोविड-19 का टीका लेने से नहीं बल्कि मस्तिष्काघात की वजह से हुई। आशा कार्यकर्ता को कुछ दिन पहले ही टीका लगाया गया था। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से मंगलवार को यह जानकारी मिली।

आशा कार्यकर्ता के सहकर्मियों ने आरोप लगाया था कि उनकी मौत कोविड-19 टीके की वजह से हुई। हालांकि गुंटूर के कलेक्टर सैमुअल आनंद ने कहा था कि पोस्टमार्टम के बाद ही मौत की वजह का पता चल पाएगा। उन्होंने कहा कि जिले में टीकाकरण के प्रतिकूल असर का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में आशा कार्यकर्ता की मौत की वजह ‘इंफ्रेक्शन इन ब्रेन’ (मस्तिष्क में ऑक्सीजन नहीं पहुंचने की वजह से उत्तकों को पहुंची क्षति) को बताया गया गया है।

उन्होंने बताया कि मौत कोविड-19 टीके की वजह से नहीं हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले उप मुख्यमंत्री अल्ला काली कृष्णा श्रीनिवास(नानी) ने कहा था कि आशा कार्यकर्ता की मौत टीकाकरण के प्रतिकूल असर की वजह से नहीं हुई। श्रीनिवास स्वास्थ्य मंत्री भी हैं।

संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि विपरित प्रभाव की वजह से मौत का अभी पता नहीं चला है। हालांकि मृतक के परिजन को 50 लाख रुपये की सहायता राशि दी जा रही है।

आशा कार्यकर्ता ने टीका लगने के तीन दिन बाद 22 जनवरी को सिर में तेज दर्द और बुखार की शिकायत की थी। पीड़िता के भाई ने बताया था कि वे उन्हें पहले तो एक निजी अस्पताल ले गए, जिसके बाद हालत और बिगड़ने पर जीजीएच भेजा गया। वह पहले बिल्कुल स्वस्थ थीं और कोविड-19 महामारी के दौरान लगातार काम कर रही थीं।

इससे पहले 25 जनवरी को राज्य के मुख्य सचिव आदित्यनाथ दास ने केंद्रीय गृह सचिव राजेश भूषण को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य में टीकाकरण के प्रतिकूल असर (एईएफआई) की वजह से एक व्यक्ति की मौत हुई है।

भाषा स्नेहा उमा

उमा