भागवत ने केन्द्र के नये कृषि सुधारों, शिक्षा नीति का स्वागत किया

भागवत ने केन्द्र के नये कृषि सुधारों, शिक्षा नीति का स्वागत किया

भागवत ने केन्द्र के नये कृषि सुधारों, शिक्षा नीति का स्वागत किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:56 pm IST
Published Date: October 25, 2020 10:56 am IST

नागपुर, 25 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने संसद में हाल ही में कृषि और श्रम सुधार विधेयकों के पारित होने के लिए केन्द्र की सराहना की और कहा कि नई नीतियों का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि विज्ञान के बारे में जागरूक करना होना चाहिए।

उन्होंने यहां संघ की वार्षिक विजयदशमी रैली को संबोधित करते हुए सरकार की नई शिक्षा नीति का भी स्वागत किया।

कोरोना वायरस महामारी के दिशा निर्देशों के अनुसार संघ ने इस कार्यक्रम का आयोजन इस साल सीमित रूप से किया, जिसमें 50 ‘स्वयंसेवकों’ ने हिस्सा लिया।

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आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि कृषि नीति की रूपरेखा बनाते समय, किसानों को अपने बीज बैंकों को नियंत्रित करने, खुद खाद, उर्वरक और कीटनाशक बनाने या पड़ोसी क्षेत्रों से खरीद करने का अधिकार होना चाहिए।

भागवत ने कहा, ‘‘नई नीतियों का उद्देश्य हमारे किसानों को आधुनिक कृषि विज्ञान के बारे में जागरूक करना होना चाहिए।’’

संघ प्रमुख ने कहा कि नीतियां ऐसी होनी चाहिए कि एक किसान अनुसंधान निष्कर्षों का उपयोग करने में सक्षम हो और अपनी उपज को बाजार की शक्तियों और बिचौलियों के दबाव में फंसे बिना बेच सके।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आर्थिक, कृषि, श्रम, विनिर्माण और शिक्षा नीति में स्व को आत्मसात करने की दिशा में कुछ सकारात्मक कदम उठाए गए हैं।’’

उन्होंने कहा कि व्यापक विचार-विमर्श और संवाद के आधार पर एक नई शिक्षा नीति बनाई गई है और संघ ने भी इसका स्वागत किया है।

भागवत ने कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है। उन्होंने कहा कि लघु और मध्यम स्तर के उद्यमों का समर्थन करके कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों को विकेंद्रीकृत करने की आवश्यकता है और इसने कोविड-19 के समय में नीति-निर्माताओं के साथ-साथ कई बुद्धिजीवियों का ध्यान आकर्षित किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार को उनके लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होगी ताकि वे विश्व स्तर के मानकों को प्राप्त कर सकें और दुनिया के आर्थिक दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा हो सके।

भागवत ने कहा कि कोविड-19 के बाद जो जागरूकता पैदा हुई है, वह यह है कि सभी के साथ एकता की भावना, सांस्कृतिक मूल्यों और पर्यावरण जागरूकता के महत्व की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए।

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप


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