भाजपा को बहुत भारी पड़ेगी निषादों की उपेक्षा : संजय निषाद

भाजपा को बहुत भारी पड़ेगी निषादों की उपेक्षा : संजय निषाद

भाजपा को बहुत भारी पड़ेगी निषादों की उपेक्षा : संजय निषाद
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 pm IST
Published Date: July 20, 2021 12:34 pm IST

सोनभद्र (उत्तर प्रदेश), 20 जुलाई (भाषा) ‘हक’ की मांग को लेकर भाजपा पर लगातार त्यौरियां चढ़ा रहे उसके सहयोगी दल निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार निषाद ने मंगलवार को एक बार फिर आगाह किया कि निषादों की उपेक्षा करना आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बहुत भारी पड़ेगा।

निषाद ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने कहा था कि सत्ता में आते ही निषादों के आरक्षण के मुद्दे को प्राथमिकता से हल किया जाएगा लेकिन वे तो सरकार की अंतिम प्राथमिकता में भी नहीं हैं। निषाद समाज में रोष के कारण पंचायत चुनावों में भाजपा को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ा है। यही रवैया रहा तो अगले साल के शुरू में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को यह बहुत भारी पड़ेगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए संसद में निषाद आरक्षण के मुद्दे का समर्थन किया था लेकिन अब वह अपना ही वादा पूरा करते नजर नहीं आ रहे हैं। त्रिस्तरीय चुनाव में निषाद पार्टी भाजपा से अलग होकर लड़ी थी। उसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा चौथे स्थान पर चली गयी। पूर्व में कांग्रेस ने हमारे लोगों को धोखा दिया तो वह ख़त्म हो गयी। उसी प्रकार सपा और बसपा ने धोखा दिया उन्हें भी उसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा। अगर भाजपा भी यही रवैया अपनाती है तो उसका भी यही हश्र होगा।

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निषाद ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार से गिनी चुनी माँगे हैं। सबसे पहले उन्हें आरक्षण दिया जाए। इसके अलावा तथा नदी, ताल और घाटों के किनारे बसने वाले मछुआरों के खिलाफ दर्ज मुक़दमे वापस हों। साथ ही उन क्षेत्रों के सभी भ्रष्ट अधिकारियों को निलम्बित किया जाय। इसके अतिरिक्त नदी, ताल, घाटों और बालू के पट्टे मछुआरा जातियों के नाम आवंटित करने का क़ानून बनाते हुए उनके किनारे की ज़मीन मछुआरों के लिए आरक्षित की जाय।

खुद को उप मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किये जाने की मांग दोहराते हुए निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मछुआरा जातियों की आबादी करीब 18 प्रतिशत है। इतनी बड़ी जनसंख्या का एक प्रतिनिधि सदन में होना आवश्यक है। अगर उप मुख्यमंत्री का पद मिल जाय तो उससे बेहतर और क्या हो सकता है।

भाषा सं सलीम अर्पणा

अर्पणा


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