बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक
cg bjp reorganizing अंततः छत्तीसगढ़ भाजपा में बड़े बदलाव की आहट अब और करीब से सुनाई देने लगी है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री की नियुक्ति और बैठकें यह साफ-साफ बता रही हैं कि भाजपा 2023 के चुनावों के लिए बिसात बिछाने में लग गई है। यह बिसात सिर्फ संगठन स्तर पर या पार्टी लेवल पर नहीं बिछ रही, बल्कि इस पर होरीजेंटली काम किया जा रहा है।
cg bjp reorganizing सबसे पहले समझते हैं कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को कांग्रेस से लड़ना क्यों कठिन है। इससे ज्यादा भूपेश बघेल का सामना करना कठिन है। वजह साफ है, बघेल एक जमीनी नेता बनकर उभरे हैं। उनकी सांस्कृतिक पकड़ और राजनीतिक शैली में भाजपा उलझकर औंधे मुंह गिर रही है। इस पर भाजपा में एक दूसरे से आंतरिक असहमतियां बढ़ रही हैं। नतीजे के रूप में बघेल सरकार पर विपक्ष के रूप में हमले बेअसर हो रहे हैं। असल में भाजपा जिस तरह से चुनाव लड़ती है उस हिसाब से छत्तीसगढ़ के चुनाव को हल्के से नहीं लिया जा सकता। इसलिए भाजपा अभी डेढ़ साल पहले से ही बिसात बिछाने में लग गई है। आइए करते हैं इसका पूरा विश्लेषण।
पहली तैयारीः संगठन में बदलाव
भाजपा ने अपनी पहली तैयारी के रूप में संगठन में आंतरिक बदलाव शुरू किया है। इसकी शुरुआत करीब 2 साल पहले हुई थी, जब तब के संगठन मंत्री सौदान सिंह को 19 सालों बाद छत्तीसगढ़ से चंडीगढ़ भेजा गया था। इसके अगले कदम के रूप में पुरंदेश्वरी का आना फिर नितिन नवीन की एंट्री और अब अजय जामवाल की एंट्री। अजय जामवाल दरअसल पूर्वोत्तर में राजनीतिक बिसात के मास्टर रह चुके हैं। ऐसे में उनसे यहां भी अपेक्षा की जाएगी।
दूसरा कदमः निर्वाचित चेहरों को जिम्मेदारियां
भाजपा यह ठीक से समझती है कि जब वह दोबारा सत्ता में आने का जतन कर रही होती है तो उसके एक हाथ में किए गए काम तो दूसरे हाथ में कैंपेन में माहौल बनाने की क्षमता होती है। लेकिन जब वह विपक्ष में हो तो उसे तेजतर्रार नेताओं की जरूरत है। आरोप लगाने में माहिर। मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाने में दक्ष नेताओं की जरूरत है। पार्टी अब अगले कदम में ऐसे विश्वसनीय और तेज आवाज वाले ओबीसी नेताओं को अहम जिम्मेदारियों में लाना चाह रही है। इस दिशा में हाल ही में 12 प्रवक्ताओं के पैनल को देखा जा सकता है। इसमें भी मुख्य प्रवक्ता के रूप में ओबीसी नेता अजय चंद्राकर को उतारा गया है। वहीं किसी की उपेक्षा नहीं की गई। सबकी समात करते हुए यह सब किया जा रहा है।
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तीसरा कदमः बैठकें, भेंट, चर्चा कार्यकर्ता को खुश करना
भाजपा में भीतरखाने क्या हो रहा है, यह सतह पर कम ही आता है। मीडिया में सिर्फ वही आता है जो भाजपा लाना चाहती है। इसलिए पुरंदेश्वरी, नितिन नवीन से लेकर अजय जामवाल बैठकों पर बैठकें करेंगे। हर बैठक में नया मैसेज निकलकर सामने आएगा। जैसे कि हाल ही में जामवाल ने पूछा क्यों हारे? यह पूछना सिर्फ पूछना नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं का वह सवाल है जो वे 2018 से पूछ रहे हैं। अब जब अगली बैठक होगी तो उसका नरैशन कार्यकर्ताओं की नाराजगी से हारे, होगा। बस यही आम कार्यकर्ता चाहता है कि पार्टी सार्वजनिक रूप से यह मान ले। कार्यकर्ताओं की भूमिका को पार्टी रेखांकित करे। अगली बैठकों में से जब यह सार्वजनिक रूप से मान लिया जाएगा तो कार्यकर्ता को लगेगा कि बदलाव हो रहा है। इसी बीच हमने देखा जामवाल पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलने अलग से पहुंचे। करीब आधा घंटा बंद कमरे में बात भी की। अंदर बात क्या हुई यह ठीक-ठीक नहीं बताया जा सकता, लेकिन यह संदेश जरूर निकला कि पार्टी किसी को कमतर करके किसी को आगे नहीं बढ़ाएगी, बल्कि चुनाव तक सबको समानांतर रखकर ही चलेगी। क्योंकि उसे अभी सबकी जरूरत है। भाजपा का यह रिकॉर्ड रहा है कि जब वह ताकत में रही है, बड़ी सर्जरियां तभी हुई हैं। जब वह विपक्ष में रहती है तब कोई कार्रवाइयां नहीं होती।
चौथा कदमः सरकार के काम को कमतर करना
यह अहम कदम है। इसे और तथ्यात्मक और सटीक बनाने के लिए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लगा हुआ है। हाल की केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी भी इस स्ट्रेटजी का हिस्सा हैं। सरकार के एक मंत्री का पत्र। उनकी कथित उपेक्षा और कांग्रेस के भीतर खानों की चीजें बटोरी जा रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सांस्कृतिक जुड़ाव का काट खोजने में पार्टी फिलवक्त तक विफल रही है। ऐसे में पार्टी ने दूसरे रास्ते खोजने शुरू किए हैं। जैसे कि पीएम आवास और केंद्रीय अन्य योजनाओं की स्थिति। इस संबंध में हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मुख्यसचिव को पत्र भी लिखा है। इस पत्र में पीएम आवास ग्रामीण योजना का स्टेटस पूछा गया है। साथ ही यह बताया गया है कि अगर इसमें अपेक्षित काम शुरू नहीं हुआ तो केंद्र प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और रूर्बन का पैसा भी होल्ड कर सकता है।
पांचवां कदमः अंक, आंकड़ों के हिसाब से गुडमिक्सिंग करना
आदिवासी राष्ट्रपति का निर्वाचन इस स्ट्रैटजी का अहम हिस्सा है। छत्तीसगढ़ की आबादी का लगभग 30 फीसद हिस्सा आदिवासी समुदाय का है। 12 फीसद हिस्सा अनुसूचित समुदाय का। बाकी बचे 68 फीसद में लगभग 65-70 फीसद तक अन्य पिछड़ा वर्ग का हिस्सा है। ऐसे में पार्टी के पास इन सभी समुदायों के नेता होने चाहिए और मजबूत नेता होने चाहिए। पार्टी के पास ओबीसी नेताओं की कमी नहीं है। अजय चंद्राकर, नारायण चंदेल, ओपी चौधरी, अरुण साव, धरमलाल कौशिक से लेकर तमाम नाम हैं। इनमें जो जितना आक्रामक होता जाएगा उसे पार्टी उतना स्पेस देती जाएगी। विपक्ष में रहकर सौम्य चेहरों से हमले नहीं हो सकते। पार्टी यह समझती है।
निष्कर्ष
तो सार यह है कि पार्टी की तैयारियां बहुत करीब से देखते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस को भी अपनी तैयारियों में थोड़े गुडमिक्स की जरूरत है। बघेल की अपनी मजबूत, सांस्कृतिक नव छत्तीसगढ़वाद की छवि उसके लिए भाजपा की तुलना में कहीं अधिक प्लस है। फिलवक्त नवागत प्रदेश संगठन मंत्री अजय जामवाल पर हमारी नजर रहेगी कि वे अपने पूर्वोत्तर वाले अंदाज में काम करते हैं या हिंदी राज्यों की सियासत में तो सतर्कता चाहिए होती है वह अपनाएंगे। ऐसे ही और विश्लेषण देखने के लिए जुड़े रहें। अभी एक और अपडेट यह है कि मोदी ने गोधन न्याय योजना की तारीफ की है। मोदी यूं तो कम से कम कुछ नहीं करते।
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