कोरोना संकट में चली गई नौकरी तो आईटी इंजीनियर को मिला नाला सफाई का काम, कई डबल ग्रेजुएट भी उठा रहे कीचड़

कोरोना संकट में चली गई नौकरी तो आईटी इंजीनियर को मिला नाला सफाई का काम, कई डबल ग्रेजुएट भी उठा रहे कीचड़

कोरोना संकट में चली गई नौकरी तो आईटी इंजीनियर को मिला नाला सफाई का काम, कई डबल ग्रेजुएट भी उठा रहे कीचड़
Modified Date: November 29, 2022 / 08:25 pm IST
Published Date: June 12, 2021 2:46 pm IST

ठाणे, 12 जून (भाषा) । कोविड-19 महामारी के कारण रोजगार के अभाव के चलते महाराष्ट्र के ठाणे के निकट मुंब्रा इलाके में कॉलेज की डिग्री रखने वाले कुछ युवा नाले की सफाई का काम करने को मजूबर हैं। हालांकि, उनमें से एक ने कहा कि उन्हें ये काम करने पर शर्म महसूस नहीं होती। कोई भी काम छोटा नहीं होता और उन्हें अपने परिवार की मदद करनी है। जिले के दीवा के रहने वाले करीब 20 लोगों के समूह को नाले की सफाई के लिये एक निजी ठेकेदार ने काम पर रखा है। हर साल मॉनसून के दौरान बाढ़ से बचने के लिये नालों की सफाई की जाती है।

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इनमें से कुछ युवक काफी अच्छी शिक्षा प्राप्त किये हुए हैं। समीर नामक युवक ने बताया कि वह ”डबल ग्रेजुएट” है और बीते तीन महीने से ठेकेदार के साथ काम कर रहा है। उसने एक स्थानीय समाचार चैनल को बताया, ”नौकरियां नहीं हैं। महामारी के चलते कंपनियां बंद हैं। आजीविका कमाने और परिवार की जरूरतों को पूरा करने लिये काम करना होता है।” एक और कामगार अनिल ने बताया कि वह ”आईटी इंजीनियर” है। इनमें से कुछ आईटी कंपनियों में नौकरी करते थे, जो महामारी के दौरान छूट गईं। किराया बचाने के लिये वे रोजाना दीवा से 10 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर मुंब्रा आते हैं। काम की तलाश में इनमें से एक ने कुछ सप्ताह पहले मॉनसून पूर्व कार्य शुरू करने वाले नगर ठेकेदार के एजेंट से बात की और मजदूरों की टीम में शामिल होने की इच्छा जतायी।

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मुंब्रा के जिस वार्ड में यह काम चल रहा है, उसकी पार्षद ने कहा कि उन्होंने इनके साथ सहानुभूति महसूस की क्योंकि ये अपनी नियमित नौकरी खो चुके थे। पार्षद ने कहा, ”मैं उनके काम के लिये उन्हें सलाम करती हूं।”एक और व्यक्ति ने कहा, ”किसी काम को छोटा नहीं समझना चाहिये। हमें भी जीना और परिवार का हाथ बंटाना है। अगर हम स्नातकोत्तर या डबल स्नातकोत्तर तक पढ़े हैं तो क्या हुआ? फिलहाल हमारी डिग्रियां हमारे काम नहीं आ रहीं। यह नौकरी कुछ हफ्ते और चलेगी। फिर हमें आमदनी का कोई और जरिया तलाशना होगा। ”

 


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