छत्तीसगढ़ में हाथी अभयारण्य क्षेत्र को लेकर कांग्रेस नेताओं के सुझावों को मतभेद न समझें: मंत्री

छत्तीसगढ़ में हाथी अभयारण्य क्षेत्र को लेकर कांग्रेस नेताओं के सुझावों को मतभेद न समझें: मंत्री

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  • Publish Date - July 8, 2021 / 06:39 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:39 PM IST

रायपुर, आठ जुलाई (भाषा) छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में हाथियों के लिए प्रस्तावित अभयारण्य के क्षेत्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने बृहस्पतिवार को कहा कि परियोजना के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं के सुझावों को मतभेद नहीं समझा जाना चाहिए।

दरअसल, अभयारण्य के क्षेत्र को लेकर राज्य सरकार के मंत्री और विधायकों ने अलग-अलग राय व्यक्त की है। इस बीच, राज्य सरकार का कहना है कि किसी एक व्यक्ति की राय के आधार पर इतनी बड़ी परियोजना नहीं बनाई जा सकती, इसलिए सभी लोगों के सुझाव लिए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के उत्तर क्षेत्र के जिलों में हाथियों की समस्या से निजात पाने के लिए राज्य सरकार ने अगस्त 2019 में लेमरू हाथी अभयारण्य की घोषणा की थी। वन विभाग को 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बनने वाले अभयारण्य के लिए अधिकृत किया गया था, लेकिन अब अभयारण्य के क्षेत्र को लेकर विवाद की स्थिति पैद हो गई है। राज्य के वन विभाग के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव समेत उत्तर क्षेत्र के आठ विधायकों ने पत्र लिखकर अभयारण्य का क्षेत्र कम करने के लिए कहा है। वहीं सिंहदेव ने ऐसा कोई भी पत्र लिखने की बात से इनकार किया है।

राज्य के वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर सचिव केपी राजपूत ने लेमरू हाथी अभयारण्य क्षेत्र के विस्तार के संबंध में विधायकों की राय और मुख्यमंत्री के निर्देश को लेकर 26 जून को राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) को पत्र लिखा था।

पत्र के अनुसार, अगस्त वर्ष 2019 को मंत्रिमंडल की बैठक में 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लेमरू हाथी अभयारण्य बनाने का निर्णय लिया गया। अग्रिम कार्रवाई के लिए वन विभाग को अधिकृत किया गया था। इसी दौरान यह भी सुझाव आया कि हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र में उपलब्ध जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए लेमरू हाथी अभयारण्य का क्षेत्र बढ़ाकर 3827.64 वर्ग किलोमीटर किया जाए।

पत्र में कहा गया है कि सिंहदेव समेत आठ विधायकों ने जनभावनाओं के अनुरूप लेमरू हाथी रिजर्व का क्षेत्र 450 वर्ग किलोमीटर तक सीमित रखने का अनुरोध किया है। विधायकों के अलावा अनेक ग्राम पंचायतों ने भी लेमरू हाथी अभयारण्य का क्षेत्र सीमित रखने का अनुरोध किया है। ग्रामीणों को यह आशंका है कि हाथी अभयारण्य के क्षेत्र विस्तार से उनकी आजीविका बाधित होगी तथा उनकी गतिविधियां सीमित हो जाएंगी।

इस पत्र के सामने आने के बाद मंत्री सिंहदेव ने 30 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि उन्होंने (सिंहदेव) अनुरोध किया है कि लेमरू हाथी अभयारण्य का क्षेत्र 450 वर्ग किलोमीटर तक सीमित किया जाए, जो कि पूरी तरह ‘‘तथ्यविहिन और भ्रामक’’ है।

सिंहदेव ने पत्र में कहा है कि उनके द्वारा ऐसा कोई भी अनुरोध नहीं किया गया है। उन्होंने स्वयं मंत्रिमंडल की बैठक में इस अभयारण्य को 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थापित करने का समर्थन इस आधार पर किया था कि इसके दायरे में उनके विधानसभा क्षेत्र का कोई भी ग्राम न आ रहा हो। तब वन मंत्री और अधिकारियों ने आश्वस्त किया था कि 1995.18 वर्ग किलोमीटर के दायरे में अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र के गांव नहीं आ रहे हैं।

सिंहदेव और वन विभाग के अधिकारी के पत्र सार्वजनिक होने के बाद इस विषय को लेकर राज्य सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि किसी एक व्यक्ति की राय से इतनी बड़ी परियोजना नहीं बनाई जा सकती, इसलिए अभी सारे लोगों के मत आ रहे हैं।

चौबे ने कहा, ‘‘यह मतभेद नहीं है, सब अपना-अपना मत व्यक्त कर रहे हैं। हाथियों को यह नहीं मालूम कि कौन विधायक क्या कह रहे हैं और उन्हें किस क्षेत्र में जाना है। वे (हाथी) पूरे राज्य का भ्रमण कर रहे हैं। बालोद जिले में हादसे हो गए हैं। पांचों संभाग में हाथियों का विचरण शुरू हो गया है। तो क्या ऐसे में पूरे छत्तीसगढ़ को अभयारण्य घोषित कर दिया जाए। ऐसा नहीं हो सकता है इसलिए समग्र विचार की जरूरत है।’’

वहीं राज्य के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में लेमरू हाथी अभयारण्य के लिए 1995.18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का प्रस्ताव रखा गया था। अब अगले मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।

भाषा संजीव सिम्मी

सिम्मी