मक्खन खाइए नहीं तो मक्खन लगाइए !

मक्खन खाइए नहीं तो मक्खन लगाइए !

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  • Publish Date - November 2, 2017 / 01:17 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:42 PM IST

 

रायपुर। मंगलवार को सदभावना साहित्य मंडल की ओर से वृदांवन हाॅल में हुए कवि सम्मेलन में कुछ ऐसा रंग जमा कि शुरूआत से अंत तक तालियों की गूंज हाॅल के बाहर से गुजरने वालों को अंदर आने पर मजबूर करती रही। छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में रखे गए कवि सम्मेलन में श्रोता कभी वीर रस का पान कर उत्साहित होते रहे तो कभी श्रृंगार की सुंदर व्याख्या से मोहित होते रहे।

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व्यंग्यों के तीर ने लोगों को पेट पकड़ने पर मजबूर किया तो वहीं भरे बाजार से खाली हाथ लौट आता हूं, सरीखी पंक्तियों ने जिंदगी का दर्द बयां किया। चापलूसों पर कटाक्ष करते लक्ष्मी नारायण लाहोटी के ये व्यंग्य, ये बात राज की है जरा पास आइए, मक्खन खाइए नहीं, मक्खन लगाइए, जुगजू से कहें आप सूरज समान है, मूर्ख से कहें आप तो साक्षात ज्ञान है, गधे के भी गीत हाथी समझकर गाइए, मक्खन खाइए नहीं, मक्खन लगाइए….। 

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वेब डेस्क, IBC24