आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है यह विशेष संरक्षित जनजाति, मरीजो को कंधों में लादकर पैदल चलना पड़ता है कई किलोमीटर

आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है यह विशेष संरक्षित जनजाति, मरीजो को कंधों में लादकर पैदल चलना पड़ता है कई किलोमीटर

आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है यह विशेष संरक्षित जनजाति, मरीजो को कंधों में लादकर पैदल चलना पड़ता है कई किलोमीटर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 pm IST
Published Date: July 13, 2021 3:53 pm IST

डिंडौरी। जिले के घुघराटोला गांव में निवास करने वाले विशेष संरक्षित बैगा जनजाति के लोग सड़क नहीं होने के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। सड़क नहीं होने के चलते एम्बुलेंस समेत अन्य चार पहिया वाहन गांव तक नहीं पहुँच पाते हैं लिहाजा बीमार व्यक्ति को परिजन कंधे में लादकर पैदल ही जंगली ऊबड़खाबड़ रास्तों का सफर तय कर अस्पताल पहुंचते हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिये खाट पर लिटाकर तीन किलोमीटर का सफर पैदल तय करके बड़ी मुश्किलों से अस्पताल ले जाना पड़ता है।

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ग्रामीणों की मानें तो समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण अबतक कई बीमार व्यक्तियों की मौत तक हो चुकी है, कई गर्भवती महिलाओं का प्रसव अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में हो चुका है। घुघराटोला गांव की आबादी करीब 300 है जहां विशेष संरक्षित बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं, सरकार ने बैगा आदिवासियों को राष्ट्रीय मानव का दर्ज़ा दे रखा है और उनके विकास एवं कल्याण के लिये तमाम योजनाएं संचालित करने का खूब ढिंढोरा भी पीटा जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है जिसका अंदाजा इन समस्याओं को देखकर बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।

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ग्रामीणों का कहना है की सड़क नहीं होने की वजह से उन्हें मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए साढ़े तीन किलोमीटर जंगली ऊबड़खाबड़ रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, सड़क निर्माण के लिए उन्होंने इलाके के विधायक, सांसद से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारियों से गुहार भी लगाई, लेकिन अबतक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली है। जनपद पंचायत की अध्यक्ष का कहना है की अधिकारियों की लापरवाही के चलते अबतक गांव में सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है, तो वहीँ इलाके के विधायक भूपेंद्र मरावी ने जल्द सड़क निर्माण का भरोसा जताया है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com