डिंडौरी। जिले के घुघराटोला गांव में निवास करने वाले विशेष संरक्षित बैगा जनजाति के लोग सड़क नहीं होने के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। सड़क नहीं होने के चलते एम्बुलेंस समेत अन्य चार पहिया वाहन गांव तक नहीं पहुँच पाते हैं लिहाजा बीमार व्यक्ति को परिजन कंधे में लादकर पैदल ही जंगली ऊबड़खाबड़ रास्तों का सफर तय कर अस्पताल पहुंचते हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिये खाट पर लिटाकर तीन किलोमीटर का सफर पैदल तय करके बड़ी मुश्किलों से अस्पताल ले जाना पड़ता है।
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ग्रामीणों की मानें तो समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण अबतक कई बीमार व्यक्तियों की मौत तक हो चुकी है, कई गर्भवती महिलाओं का प्रसव अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में हो चुका है। घुघराटोला गांव की आबादी करीब 300 है जहां विशेष संरक्षित बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं, सरकार ने बैगा आदिवासियों को राष्ट्रीय मानव का दर्ज़ा दे रखा है और उनके विकास एवं कल्याण के लिये तमाम योजनाएं संचालित करने का खूब ढिंढोरा भी पीटा जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है जिसका अंदाजा इन समस्याओं को देखकर बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।
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ग्रामीणों का कहना है की सड़क नहीं होने की वजह से उन्हें मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए साढ़े तीन किलोमीटर जंगली ऊबड़खाबड़ रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, सड़क निर्माण के लिए उन्होंने इलाके के विधायक, सांसद से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारियों से गुहार भी लगाई, लेकिन अबतक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली है। जनपद पंचायत की अध्यक्ष का कहना है की अधिकारियों की लापरवाही के चलते अबतक गांव में सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है, तो वहीँ इलाके के विधायक भूपेंद्र मरावी ने जल्द सड़क निर्माण का भरोसा जताया है।
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