खबर अच्छी है…नक्सल हिंसा में अनाथ हुए बच्चों का सहारा बना आस्था गुरूकुल  

खबर अच्छी है...नक्सल हिंसा में अनाथ हुए बच्चों का सहारा बना आस्था गुरूकुल  

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  • Publish Date - December 7, 2017 / 12:52 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में नक्सल प्रभावित बच्चों को मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना का बेहतर लाभ मिल रहा है। दंतेवाडा में इस योजना के तहत आस्था गुरूकुल नाम की संस्थाएं संचालित है। खास बात ये है कि इस संस्था में केवल उन्हीं बच्चों का दाखिला कराया गया है जिनके माता पिता नक्सल हिंसा में मारे जा चुके हैं। इस संस्था में बच्चों को शिक्षा के साथ ही अन्य सुविधाएं दी जाती है, जिसका लाभ लेकर बच्चे अपना भविष्य गढ रहे हैं। नक्सल पीडित बच्चों की शिक्षा को लेकर शासन बहुत गंभीर है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दंतेवाडा में इन बच्चों के आस्था नामक संस्था का संचालन किया जा रहा है।

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बालक और बालिकाओं के लिये अलग अलग संस्थााएं संचालित हैं। इन संस्थाओं में केवल वहीं बच्चे पढाई कर रहे है जिनके माता पिता नक्सली घटना में अपनी जान गंवा चुके हैं। साल 2005 के बाद नक्सल हिंसा में तेजी आई और नक्सलियों ने ग्रामीणों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया। नक्सली हिंसा में कई बच्चे अनाथ हो गये। इसके बाद इन बच्चों के पढाई और अन्य सुविधाओं के लिये शासन ने बीडा उठाया। इसके बाद शासन प्रशासन द्वारा “आस्था गुरूकुल” की स्थापना की गयी। इन बच्चों को इस संस्था में मुफ्त में शिक्षा के साथ रहने और खाने की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। इन बच्चों को कम्यूटर और इंटरनेट के जरिये भी पढाया जाता है। शासन की इस योजना से इन बच्चों के चेहरों पर एक बार फिर मुस्कान खिल उठी है। वर्तमान में इस संस्थाा में दो सौ से ज्यादा बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। इन बच्चों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं।

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दंतेवाडा के अलावा इस संस्था में बीजापुर, सुकमा के अलावा संभाग भर के बच्चे‍ अध्ययनरत हैं। इन बच्चों की छात्रवृत्ति भी अन्य आश्रमों के बच्चों की तुलना में ज्यादा होती है ताकि ये बेहतर ढंग से अपना शारीरिक विकास भी कर सकें। स्कू‍ल से लौटने के बाद बच्चों को विशेष कोचिंग की सुविधा भी दी जाती है। इनके लिये अलग से ट्यूटर भी नियुक्त किये गये हैं। जो अंग्रेजी, गणित और अन्य विषयों की कक्षाएं लेते हैं। इसके अलावा कंप्यूटर शिक्षा भी इन बच्चों को रोजाना दी जाती है। वहीं इनके इच्छा्नुसार खेलकूद की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।

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पूर्व में ये बच्चे अलग अलग संस्थाओं में पढाई करते थे लेकिन अब डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल में इन बच्चों का दाखिला कराया गया है जहां ये अपना भविष्य गढ रहे हैं। नक्सल हिंसा में अनाथ होने के बाद इन बच्चों के सामने पढाई के साथ ही गुजर बसर की समस्या खडी हो गयी थी लेकिन शासन के प्रयासों से इन मासूमों के चेहरों पर एक बार फिर से मुस्कान खिल उठी है। यही वजह है कि स्थायनीय लोग शासन के इस पहल की सराहना करते नहीं थक रहे।

 

वेब डेस्क, IBC24