दो मंत्रियों के इस्तीफे की वजह से सरकार विधायिका का सामना करने से बच रही है: फडणवीस

दो मंत्रियों के इस्तीफे की वजह से सरकार विधायिका का सामना करने से बच रही है: फडणवीस

दो मंत्रियों के इस्तीफे की वजह से सरकार विधायिका का सामना करने से बच रही है: फडणवीस
Modified Date: November 29, 2022 / 08:04 pm IST
Published Date: July 4, 2021 3:11 pm IST

मुंबई, चार जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य विधानमंडल का मॉनसून सत्र सिर्फ दो दिन के लिए आयोजित करने करने को लेकर रविवार को महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया लगाया कि सरकार विपक्ष का सामना नहीं करना चाहती है, क्योंकि कुछ मंत्रियों पर ‘उगाही’ के आरोप लगे हैं, जिस वजह से सरकार को ‘बचाव की मुद्रा’ में आना पड़ा है।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए विपक्ष के नेता ने कोविड-19 महामारी का बहाना बनाकर विधानमंडल का सत्र पांच और छह जुलाई को सिर्फ दो दिन के लिए आहूत करने पर सरकार पर लोकतंत्र का मज़ाक बनाने का आरोप लगाया है।

इस बीच, सत्ता में आने के तीन महीने के अंदर ओबीसी आरक्षण बहाल करने में विफल होने पर राजनीति छोड़ने की घोषणा करने को लेकर किए गए सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि सरकार जरूरी कदम नहीं उठा रही है। मुझे संन्यास लेने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। मैं अगले 25 साल तक राजनीति में रहूंगा।”

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उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्रियों पर उगाही के आरोप लगे हैं, जिस वजह से यह सरकार विधायिका का सामना करने से बच रही है। भाजपा नेता ने कहा, “ लेकिन हम सरकार का असली चेहरा बेनकाब करेंगे। अगर हमें सदन के पटल पर मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी गई तो हम उन्हें जनता के मंच पर उठाएंगे। हम आक्रामक होंगे लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए संयमित रहेंगे कि लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाया जाए।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस का बहाना बनाकर विधानमंडल की सिर्फ 12 दिन की कार्यवाही आयोजित कराई है, जबकि संसद की कार्यवाही 70 दिन आयोजित हुई है।

मॉनसून सत्र की दो दिवसीय अवधि का जिक्र करते हुए फडणवीस ने कहा कि सरकार सदस्यों को सदन के पटल पर विधायी साधनों का उपयोग करके सवाल पूछने से रोकना चाहती है।

फडणवीस ने कहा कि एमवीए सरकार ‘बचाव की मुद्रा’ में आ गई है क्योंकि उसके दो मंत्रियों को अलग-अलग मुद्दों पर इस्तीफा देना पड़ा है।

वह राज्य के वन मंत्री रहे शिवसेना नेता संजय राठौड़ और गृह मंत्री रहे राकांपा के अनिल देशमुख के इस्तीफों का हवाला दे रहे थे। राठौड़ को इस साल के शुरू में पुणे में एक युवती की कथित खुदकुशी के संबंध में नाम आने पर त्याग पत्र देना पड़ा था जबकि देशमुख को भ्रष्टाचार के आरोप में अप्रैल में उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई को प्रारंभिक जांच का निर्देश देने के बाद पद छोड़ना पड़ा था। शिवसेना से परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी उगाही के आरोप लगे हैं। उन्होंने आरोपों से इनकार किया है।

भाषा

नोमान दिलीप

दिलीप


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