बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत जिगडी में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है जिसमें आॅनलाईन सिस्टम के माध्यम से एक जीवीत व्यक्ति का मृत सर्टिफिकेट बना दिया गया और उसके नाम से पैसा निकालने की भी तैयारी कर ली गई थी। श्रम विभाग के सर्वे में पूरे मामले का खुलासा हुआ और अब चारों ओर हडकंप मच गया है। श्रम विभाग के अधिकारी मामले की पूरी जांच में जुट गए हैं वहीं मृत सर्टिफिकेट देखने के बाद से ग्रामीण परेशान हो गया है।
अच्छा लंबा कद कोई भी काम करने में सक्षम और परिवार पालने का जिम्मा अगर ऐसे व्यक्ति को कोई अचानक आकर उसी के मरने की बात पुछते हुए मृत सर्टिफिकेट पकडा दे तो क्या होगा, सुनने में तो ये थोडा अटपटा लगता है लेकिन बलरामपुर जिले में ऐसी ही एक सच्ची घटना घटी है जिसे सुनकर सब हैरान हैंे। ग्राम पंचायत जिगडी के रहने वाले बिलास राम के घर में सप्ताह भर पहले श्रम विभाग की टीम पहंुची और उसी से पूछने लगी की अभी जो बिलास राम मरा है उसका घर कहां है, विभाग से उसके परिजनों को पैसा मिलेगा। इतना सुनते ही बिलास के पैरों से जमीन खिसक गई उसनें कहा सर मैं ही बिलास हुं लेकिन मैं मरा नहीं जिन्दा हंु, उसकी बात सुनकर अधिकाारियेां ने उसे मृत सर्टिफिकेट थमाते हुए कहा की फिर ये किसका प्रमाण पत्र है।
बिलास राम का न सिर्फ मृत्यु प्रमाण पत्र बना है बल्कि उसकी बीवी के नाम से एसबीआई बैंक में खाता भी खोल दिया गया है जिसमें क्लेम की राशि आने वाली थी। अपनी मौत की खबर और उसका प्रमाण पत्र मिलने के बाद से बिलास काफी परेसान है और सबसे पहले उसने कुदरगढ जाकर मां का आर्शिवाद लिया और कार्रवाई की मंांग की,वहीं उसके साथ और गांव के अन्य लोग भी इस खबर के बाद से हैरान हैं उनकी मानें तो जिसने भी ऐसा किया है उसका पता लगाना चाहिए क्योकि जिंदा व्यक्ति को कागज में मरवाना बहुत शर्मनाक है।
वहीं श्रम विभाग के अधिकारी भी कहते हैं की अब तक की ये पहली और अजीब घटना है,उन्होने कहा की पंजीकृत श्रमिकों को मरने के बाद विभाग की ओर से क्लेम दिया जाता है और एक लाख रुपए की राशि नामिनी के खाते में डाली जाती है। उसी क्लेम को पूरा करने के लिए इसका कोरम पूरा किया जा रहा था जिसमें सर्वे में पता चला की व्याक्ति जिंदा है। श्रम पदाधिकारी कहते हैं की मामले में जांच की जा रही है और जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
जीवीत व्यक्ति का मृत सर्टिफिकेट बनाकर क्लेम की राशि हासिल करने के इस मामले के सामने आने के बाद एक बात तो तय है की इसमें किसी गिरोह का काम है जो इस तरह के पंजिकृत मजदूरों का पता लगाकर उनके नाम से फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर रहा है। बहरहाल जांच के बाद ही सामने आ पाएगा की इसमें किसका हाथ है।