बहुमत होने के आसार के कारण आंध्र विधान परिषद को समाप्त करने पर जोर नहीं देगी जगन सरकार

बहुमत होने के आसार के कारण आंध्र विधान परिषद को समाप्त करने पर जोर नहीं देगी जगन सरकार

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  • Publish Date - June 12, 2021 / 02:54 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

(सूर्या देसराजू)

अमरावती, 12 जून (भाषा) आंध्र प्रदेश की 58 सदस्यीय विधान परिषद में बहुमत के आसार को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार इसे समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव नहीं डालेगी। यह, विधान परिषद के मुद्दे पर वाईएसआर कांग्रेस द्वारा पूर्व में अपनाए गए रुख के विपरीत होगा।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई मुलाकात में राज्य के कई लंबित मुद्दों को उठाया लेकिन परिषद को समाप्त करने पर बात नहीं की। वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने इससे पहले कहा था कि परिषद पर हर साल होने वाला 60 करोड़ रुपये का खर्च सरकारी खजाने पर बोझ है।

जगन के मुख्य सहयोगी और सरकारी सलाहकार सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने कहा, “प्रस्ताव उनके (केंद्र) के पास है। हमें देखना होगा। यदि यह (परिषद की समाप्ति) होता है तो हम इसके लिए तैयार हैं।” उन्होंने संकेत दिया कि यदि परिषद समाप्त नहीं की जाती है तो सरकार इसके लिए भी तैयार है और उच्च सदन पहले की तरह काम करेगी।

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने 27 जनवरी 2020 को एकमत से एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था कि परिषद को समाप्त कर दिया जाए। इस बाबत मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनका निर्णय “केवल लोगों की जरूरतों और सरकार की जिम्मेदारी के मद्देनजर था।”

जगन मोहन रेड्डी सरकार का रुख था कि विधान परिषद के सदस्य “राज्य की जरूरतों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते।” संविधान के अनुच्छेद 169 (1) के तहत विधान परिषद को समाप्त करने के लिए संसद को कानून पारित करना होता है।

जगन ने कहा था, “हर साल हम परिषद को चलाने के लिए 60 करोड़ रुपये खर्च करते हैं जिसका कोई अर्थ नहीं है। हम लोगों के हितों की रक्षा के लिए परिषद को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। परिषद का होना अनिवार्य नहीं है। यह हमने बनाई थी और यह केवल हमारी सुविधा के लिए है।”

उस समय परिषद में सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस के केवल नौ सदस्य थे और विपक्षी दल तेलुगु देसम को बहुमत हासिल था। राज्य सरकार, विधान परिषद से कुछ विधेयक पारित कराने में भी विफल रही थी। गत वर्ष बताया जा रहा था कि मुख्यमंत्री ने विधान परिषद को समाप्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री से बात की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।

अब परिस्थितियां बदल गई हैं और परिषद में वाईएसआर कांग्रेस के पास 16 सीटें हैं। वह विधायक कोटे से तीन और सीटें जीत सकती है जिसके लिए होने वाले चुनाव कोविड-19 महामारी के कारण टाले गए हैं।

भाषा यश माधव

माधव