उप्र में नए धर्मांतरण अध्यादेश के तहत प्रतिदिन औसतन एक से अधिक गिरफ़्तारी | More than one arrest per day under new conversion ordinance in U.P.

उप्र में नए धर्मांतरण अध्यादेश के तहत प्रतिदिन औसतन एक से अधिक गिरफ़्तारी

उप्र में नए धर्मांतरण अध्यादेश के तहत प्रतिदिन औसतन एक से अधिक गिरफ़्तारी

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 PM IST
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Published Date: December 26, 2020 12:29 pm IST

(अभिनव पांडेय) लखनऊ, 26 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश में एक महीने पहले लागू किए गए धर्मांतरण रोधी अध्यादेश के तहत औसतन हर रोज एक से अधिक लोगों की गिरफ़्तारी हुई है और अब तक 35 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

‘उत्‍तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्‍यादेश-2020’ को 27 नवंबर को राज्‍यपाल की मंजूरी मिलने के बाद से पुलिस ने एक दर्जन से ज्‍यादा मुकदमे दर्ज करते हुए राज्‍य में करीब 35 लोगों को गिरफ्तार किया है।

आधिकारिक बयान के अनुसार प्रदेश के एटा से आठ, सीतापुर से सात, ग्रेटर नोएडा से चार, शाहजहांपुर और आजमगढ़ से तीन-तीन, मुरादाबाद, मुज़फ़्फरनगर, बिजनौर एवं कन्नौज से दो-दो तथा बरेली और हरदोई से एक-एक गिरफ्तारी हुई है।

अध्‍यादेश के लागू होने के ठीक एक दिन बाद बरेली के देवरनिया थाने में पहला मुकदमा दर्ज किया गया जिसमें लड़की के पिता शरीफनगर गांव निवासी टीकाराम राठौर ने शिकायत की कि उवैश अहमद (22) ने उनकी बेटी से दोस्‍ती करने का प्रयास किया और धर्म परिवर्तन के लिए जबरन दबाव बनाया तथा लालच देने की कोशिश की।

बरेली की देवरनिया पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद तीन दिसंबर को उवैश अहमद को गिरफ्तार कर लिया।

इसी प्रकार लखनऊ पुलिस ने राजधानी में एक विवाह समारोह रोक दिया। मुज़फ़्फरनगर जिले में नदीम नामक व्यक्ति और उसके साथी को छह दिसंबर को एक विवाहित हिंदू महिला को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

हालांकि बाद में इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने इस मामले में उप्र पुलिस को कोई कठोर कार्रवाई न करने का निर्देश दिया।

मुरादाबाद में धर्मांतरण रोधी अध्यादेश के तहत गिरफ्तार किए गए दो भाइयों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने रिहा कर दिया।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं ने ‘लव जिहाद’ के मामले को लेकर आक्रामक बयान दिए।

इस अध्यादेश के लागू होने के पहले उपचुनाव के दौरान जौनपुर और देवरिया की चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था, ” बहन बेटियों का सम्‍मान नहीं करने वालों का राम नाम सत्‍य हो जाएगा।’’

सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु शर्मा ने इस अध्यादेश के बारे में कहा, ” हमें नए अध्यादेश से कोई समस्‍या नहीं है लेकिन इसके लागू होने से लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका दुरुपयोग न हो।”

उन्‍होंने कहा, ”यह भविष्‍यवाणी करना जल्‍दबाजी होगा कि यह अपने उद्देश्‍य में सफल होगा या नहीं लेकिन इसका सावधानी से प्रयोग होना चाहिए।”

उत्‍तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महाानिदेशक यशपाल सिंह ने कहा, ” देखिए, आधुनिक युग में आजादी की जो परिभाषा है, उसके हिसाब से लोगों को यह अध्यादेश पसंद नहीं आएगा लेकिन समाज का जो वर्तमान स्‍वरूप है उसमें कानून-व्‍यवस्‍था के लिए जो समस्‍या खड़ी हो जाती, उसमें काफी राहत मिलेगी।”

पूर्व पुलिस प्रमुख ने कहा, ” कोई लड़की जब किसी के साथ चली जाती है तो उसकी बरामदगी के लिए दबाव बढ़ता है और लड़की के भागने पर दंगे जैसी स्थिति उत्‍पन्‍न हो जाती है।”

उन्‍होंने कहा, ” सामाजिक व्‍यवस्‍था के हिसाब से ठीक है और इससे उत्‍पीड़न नहीं होगा लेकिन आधुनिक लोगों को लगेगा कि हमारी आजादी पर सरकार ने पहरा बिठा दिया है।”

उच्‍च न्‍यायालय के अधिवक्‍ता संदीप चौधरी ने कहा,” यह अध्यादेश व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता, निजता, मानवीय गरिमा जैसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।”

उन्‍होंने बताया कि कानून को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय में एक जनहित याचिका पहले ही दायर की जा चुकी है और अब अदालत को फैसला करना है।

उच्‍च न्‍यायालय ने उत्‍तर प्रदेश सरकार से एक याचिका पर जवाब देने को कहा है जिसमें नए अध्यादेश को लेकर सवाल उठाए गए हैं।

इसमें सुनवाई के दौरान उच्‍च न्‍यायालय ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी और राज्‍य सरकार को चार जनवरी तक जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।

कपटपूर्ण ढंग से शादी करने और जबरन या छल से धर्म परिवर्तन कराने पर अंकुश लगाने के उद्देश्‍य से उत्‍तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने अध्‍यादेश को मंजूरी दी थी जिसे राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपनी स्‍वीकृति दे दी। इस अध्यादेश में दस वर्ष तक के कारावास का प्रावधान किया गया है।

राज्‍यपाल की मंजूरी मिलने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि जब यह विधेयक के रूप में उप्र विधानमंडल में पेश होगा तो उनकी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी।

बहुजन समाज पार्टी की अध्‍यक्ष मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए कहा था, ” लव जिहाद पर लाया गया अध्‍यादेश जल्‍दबाजी में लाया गया है और यह संदेह तथा अनेक आशंकाओं से भरा हुआ है।’’

उन्‍होंने कहा कि इस संबंध में कई कानून पहले से ही प्रभावी हैं और सरकार इस पर पुनर्विचार करे।

हालांकि भाजपा नेताओं का कहना है, ” लव जिहाद के खिलाफ एक सख्‍त कानून की जरूरत थी, ताकि मुस्लिम पुरुषों के कथित प्रेम की आड़ में हिंदू महिलाओं को धर्म परिर्वतन की साजिश का शिकार न होना पड़े।

भाषा अभिनव आनन्द

रंजन नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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