मप्र : बुजुर्गों से अमानवीय बर्ताव की घटना के 15 दिन बाद मुख्यमंत्री ने ली रैन बसेरों की सुध

मप्र : बुजुर्गों से अमानवीय बर्ताव की घटना के 15 दिन बाद मुख्यमंत्री ने ली रैन बसेरों की सुध

मप्र : बुजुर्गों से अमानवीय बर्ताव की घटना के 15 दिन बाद मुख्यमंत्री ने ली रैन बसेरों की सुध
Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 pm IST
Published Date: February 13, 2021 5:00 am IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), 13 फरवरी (भाषा) हाड़ कंपाने वाली ठंड में बेघर और बेसहारा बुजुर्गों को इंदौर की शहरी सीमा से जबरन बाहर छोड़े जाने की घटना के पखवाड़े भर बाद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार देर रात अचानक यहां रैन बसेरों में पहुंचे और व्यवस्था का जायजा लिया।

अधिकारियों ने बताया कि चौहान सुखलिया तथा झाबुआ टॉवर क्षेत्रों के रैन बसेरों में पहुंचे और वहां ठहरे लोगों से पूछा कि इन आश्रय केंद्रों में भोजन व सफाई की व्यवस्थाओं को लेकर उन्हें कोई दिक्कत तो नहीं है?

चश्मदीदों के मुताबिक इन लोगों ने रैन बसेरों के इंतजामों को लेकर मुख्यमंत्री के सामने संतोष जताया।

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नगर निगम के कर्मचारियों ने 29 जनवरी को हाड़ कंपाने वाली ठंड में बेघर और बेसहारा बुजुर्गों को रैन बसेरों में पहुंचाने के बजाय इंदौर की शहरी सीमा से बाहर जबरन छोड़ दिया था। इस घटना के वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन को तीखी आलोचना झेलनी पड़ी थी।

रैन बसेरों के दौरे के वक्त मीडिया ने शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री से पूछा कि इस घटना को लेकर अस्थायी कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की गाज गिराई गई है, जबकि बड़े अधिकारियों को कार्रवाई से बचा लिया गया है।

चौहान ने इस सवाल पर संक्षिप्त जवाब में कहा, “(बुजुर्गों के साथ) कोई भी अमानवीय व्यवहार सहन नहीं किया जाएगा।”

गौरतलब है कि बुजुर्गों से अमानवीय बर्ताव की घटना को लेकर मुख्यमंत्री के नाराजगी जताए जाने के बाद नगर निगम के एक उपायुक्त को 29 जनवरी को ही निलंबित कर दिया गया था, जबकि दो अस्थायी कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम प्रशासन ने 10 फरवरी को मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर छह और अस्थायी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था।

नगर निगम के एक अधिकारी के मुताबिक 29 जनवरी की घटना के दौरान छह बुजुर्गों को इंदौर से बाहर ले जाया गया था और इतने ही लोगों को वापस शहर में लाया गया था।

उन्होंने बताया कि फिलहाल इनमें से तीन लोग इंदौर के एक वृद्धाश्रम में हैं, जबकि तीन अन्य बुजुर्ग शहर वापसी के बाद नगर निगम की गाड़ी से “अपनी मर्जी से” उतरकर चले गए थे।

पखवाड़े भर पुराने घटनाक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर पहले ही वायरल हैं। इनमें नजर आ रहा है कि नगर निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते के ट्रक के जरिये बेसहारा बुजुर्गों को नजदीकी क्षिप्रा गांव के पास सड़क किनारे छोड़ा जा रहा है। वीडियो में यह दिख रहा है कि कुछ जागरूक ग्रामीण इस अमानवीय घटना पर एतराज जता रहे हैं और इसे मोबाइल कैमरे में कैद कर रहे हैं। इससे घबराए नगर निगम कर्मचारी वीडियो में बुजुर्गों को दोबारा ट्रक में बैठाते दिखाई दे रहे हैं।

वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि इनमें से कुछ लोग उनकी अधिक उम्र के चलते अपने बूते चलने-फिरने से भी लाचार थे और वे हताश होकर सड़क किनारे बैठ गए थे। इनमें कुछ दिव्यांग भी शामिल थे। बेसहारा बुजुर्गों के सामान की पोटलियां सड़क किनारे यहां-वहां बिखरी नजर आ रही थीं।

भाषा हर्ष प्रशांत

प्रशांत


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