किसानों को ‘टूल’ की तरह इस्‍तेमाल कर रहे अस्तित्‍व विहीन विपक्षी दल : श्रीकांत शर्मा

किसानों को ‘टूल’ की तरह इस्‍तेमाल कर रहे अस्तित्‍व विहीन विपक्षी दल : श्रीकांत शर्मा

किसानों को ‘टूल’ की तरह इस्‍तेमाल कर रहे अस्तित्‍व विहीन विपक्षी दल : श्रीकांत शर्मा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:38 pm IST
Published Date: February 9, 2021 12:42 pm IST

(आनन्‍द राय)

लखनऊ, नौ फरवरी (भाषा) केंद्र सरकार के नये कृषि क़ानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बीच उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्‍ता, ऊर्जा मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेता श्रीकांत शर्मा ने मंगलवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों पर किसानों को ‘टूल’ (हथियार) की तरह इस्‍तेमाल करने का आरोप लगाया।

शक्ति भवन स्थित अपने कार्यालय में ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष बातचीत में श्रीकांत शर्मा ने कहा, ” कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल और आम आदमी पार्टी जैसे तमाम दल हैं, जिनका अस्तित्‍व खतरे में हैं और इसलिए ये लोग किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं और उनको टूल की तरह इस्‍तेमाल कर रहें हैं। यह दुखद है।’’

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उन्‍होंने दावा किया कि किसान आंदोलन केवल एक दो राज्‍यों में सीमित है और उत्तर प्रदेश में यह आंदोलन नहीं है।

शर्मा ने कहा,” किसान हमारी सरकार के साथ खड़ा है और यह आंदोलन एक या दो राज्‍यों में ही सीमित है। हमारी सरकार किसानों की सरकार है।”

उल्‍लेखनीय है कि राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जिलों को छोड़कर उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का व्‍यापक प्रभाव नहीं है, लेकिन अभी बीते छह फरवरी को अमेठी, बलिया, बुंदेलखंड के हमीरपुर, बांदा, ललितपुर, महोबा, चित्रकूट, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, बागपत सहित कई जिलों में किसानों ने नये कृषि क़ानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया और संबंधित जिलाधिकारियों के माध्‍यम से कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए राष्‍ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इसके पहले भी किसानों ने धरना-प्रदर्शन और आंदोलन के जरिये कृषि क़ानूनों का विरोध किया है।

राज्‍य सरकार के मंत्री ने कहा, ”जब आप राजनीति में होते हैं तो राजनीतिक विरोध झेलना पड़ता है और यह किसानों का नहीं राजनीतिक विरोध है।”

शर्मा ने कहा, ” मैं भी किसान का बेटा हूं और यह जानता हूं कि किसान नरेंद्र भाई मोदी के साथ है और नये क़ानूनों के साथ हैं क्‍योंकि नये कानून किसानों को आर्थिक रूप से स्‍वावलंबी बनाने में सहायक और मददगार साबित होंगे।”

केंद्र के नये कृषि क़ानूनों की विशेषता बताते हुए उन्‍होंने कहा,” इस कानून में किसान को खुले बाजार में अपनी फसल बेचने की आजादी है।”

भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर किसानों की बजाय पूंजीपतियों के हित साधने के विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्‍ता ने कहा, ”यह आरोप राजनीति से प्रेरित है। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि सरकार पूंजीपतियों को आपकी जमीन दे देगी जबकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं।”

शर्मा ने कहा,”एक्‍ट (कानून) में अपर हैंड (मजबूत स्थिति) किसानों की है और वह अपनी इच्‍छा से ‘करार’ से बाहर आ सकता है, लेकिन व्‍यापारी के लिए करार के बीच से बाहर आना आसान नहीं है।”

उन्‍होंने कहा,”कृषि मंत्री और प्रधानमंत्री ने किसानों और विपक्ष से दो टूक कहा लेकिन विपक्ष न संसद के अंदर न ही बाहर, किसानों के खिलाफ कानून का कोई तथ्‍य प्रस्‍तुत कर पाया, इसका मतलब विपक्ष का विरोध पूर्ण रूप से राजनीतिक है।”

आंदोलनकारी किसानों ने बिजली बिल को लेकर 2020 में बनाये गये नियमों को वापस लेने की मांग की है, इस सवाल पर शर्मा ने कहा, ” देखिए, इस पर लगातार चर्चा भी हो रही है और केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से वार्ता की है। संसद के अंदर और बाहर भी पूरी स्थिति को स्‍पष्‍ट किया गया है। किसानों से प्रस्‍ताव मांगा गया है और बातचीत के दरवाज़े अभी भी खुले हैं।”

उत्तर प्रदेश के किसानों के बिजली बिल के संदर्भ में उन्‍होंने कहा,” जहां तक बात उत्तर प्रदेश की है तो यहां साढ़े सात रुपये प्रति यूनिट बिजली का खर्च किसान के खेत में पानी पहुंचाने में आता है लेकिन किसान से ह‍म केवल एक रुपये 20 पैसे प्रति यूनिट लेते हैं और बाकी खर्च उत्तर प्रदेश की सरकार वहन करती है।”

उन्‍होंने कहा,”पुरानी सरकारों ने लगभग पांच हजार करोड़ रुपये बिजली में छूट दी थी, लेकिन आज हमारी सरकार ने सब्सिडी बढ़ाकर 12 हजार करोड़ से अधिक किया है और इसके पीछे केवल एक ही लक्ष्‍य गरीबों और किसानों को सस्‍ती बिजली उपलब्‍ध कराना है।”

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता नरेश टिकैत की भाजपा को शक्ति प्रदर्शन की चुनौती के सवाल पर शर्मा ने कहा,” हर चुनाव में शक्ति प्रदर्शन होता है और 2014, 2017 और 2019 में लोकतांत्रिक तरीके से सबने अपना पक्ष रखा और परिणाम भी देखा। हम चुनौती नहीं, काम में विश्‍वास रखते हैं।”

उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस पर दिल्‍ली में हुई हिंसा के बाद नरेश टिकैत ने पत्रकारों से बातचीत में भाजपा सरकार को उत्तर प्रदेश या हरियाणा के किसी भी मैदान में शक्ति प्रदर्शन की चुनौती दी थी।

टिकैत ने कहा था,”पहले भाजपा अपनी रैली कर ले और फ‍िर अगले दिन हम करेंगे और उन्हें हर जगह फेल कर देंगे।”

उत्तर प्रदेश में वर्ष-2022 के विधानसभा चुनाव के सवाल पर शर्मा ने कहा, ”हमने विकास किया है और आगे भी करेंगे और जनता से इसी दम पर आशीर्वाद प्राप्‍त करेंगे। वर्ष 2017 में हमारे काम पर,वर्ष 2019 में काम के दम पर विजय मिली और वर्ष 2022 में भी काम के दम पर जनता का आशीर्वाद मिलेगा।”

वोट के लिए हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के विपक्ष के आरोप पर शर्मा ने कहा,” हमें इस बात पर गर्व है कि हम हिंदू हैं लेकिन हमारी सरकार में किसी धर्म को लेकर भेदभाव नहीं है। योजनाओं का लाभ सभी धर्म के लोगों को मिल रहा है। कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी वर्गों को मुफ़्त राशन दिया तो उसमें कोई भेदभाव नहीं था।”

धर्मांतरण प्रतिषेध जैसे कानून को वोट के लिए नफरत की राजनीति का हथकंडा जैसे विपक्ष के आरोपों पर शर्मा ने कहा,” हम काम कर रहे हैं और आप किसी भी तरह के नारों से एक बार चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन बार-बार नहीं। विपक्ष के आरोप निराधार हैं और हमारा नारा सिर्फ और सिर्फ विकास है। नारा अखिलेश यादव (सपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री) ने दिया और वह हार गये।”

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा किस मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी, के जवाब में श्रीकांत शर्मा ने कहा,” वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का एजेंडा सिर्फ और सिर्फ विकास, विकास और विकास होगा।”

उन्‍होंने एक सवाल के जवाब में कहा,”अखिलेश यादव के काम पर वर्ष 2017 में जनता ने वोट किया और वर्ष 2022 में हमारे काम पर जनता का मत सामने आएगा। आपने काम क्‍या किया, लोकतंत्र में इसका आकलन जनता करती है।”

गौरतलब है कि पिछले दिनों सपा अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि समाजवादी सरकार के कार्यों को अपना बताकर भाजपा सरकार सिर्फ शिलान्‍यास और उद्घाटन कर रही है।

अखिलेश यादव के आरोप के जवाब में ऊर्जा मंत्री ने कहा,”उत्तर प्रदेश सरप्‍लस पावर वाला राज्‍य है और आवश्‍यकता से अधिक बिजली हमारे यहां हैं। जब सरप्‍लस बिजली है तो नये पावर प्‍लांट लगाने का कोई औचित्‍य नहीं है क्‍योंकि इसका अतिरिक्‍त भार उपभोक्‍ताओं पर पड़ता है। अखिलेश का आरोप राजनीति से प्रेरित है।”

अखिलेश यादव ने पिछले दिनों यह भी आरोप लगाया था कि एक भी यूनिट बिजली भाजपा सरकार के कार्यकाल में पैदा नहीं हुई।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा)के साथ गुप्त समझौते के आरोपों को खारिज करते हुए शर्मा ने कहा कि भाजपा अपने काम में विश्‍वास रखती है।

राज्‍यसभा चुनाव के दौरान बसपा अध्‍यक्ष मायावती ने कहा था कि समाजवादी पार्टी को हराने के लिए वह भाजपा को भी समर्थन दे सकती हैं। इसके बाद सपा अध्‍यक्ष ने भाजपा और बसपा के बीच गुप्त गठबंधन होने का आरोप लगाया था।

भाषा आनन्‍द धीरज

धीरज


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