आदिवासियों के आंदोलन का आज तीसरा दिन, बैलाडीला खदान अडानी को दिए जाने का विरोध जारी

आदिवासियों के आंदोलन का आज तीसरा दिन, बैलाडीला खदान अडानी को दिए जाने का विरोध जारी

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  • Publish Date - June 9, 2019 / 01:43 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:29 PM IST

बस्तर। बस्तर के बैलाडीला की 13 नंबर की खदान अडानी को देने का विरोध और नंदीराज पहाड़ को बचाने के लिए आदिवासियों की अनिश्चकालीन हड़ताल का आज तीसरा दिन है। दूसरे दिन शनिवार को भी बारिश के बीच आदिवासी लगातार NMDC के गेट के सामने डटे रहे। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी आंदोलन में शामिल हुए। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरी प्रक्रिया के लिए पूर्व की बीजेपी सरकार को दोषी ठहराया है। इधर भाजपा ने कहा है कि हर बात के लिए उन्हें दोषी ठहराना ठीक नहीं है।

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दंतेवाड़ा के बैलाडीला में खदान नंबर 13 के खनन का कार्य अडानी ग्रुप को देने का विरोध कर आदिवासी दूसरे दिन भी एनएमडीसी के गेट पर डटे रहे। संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति के नेतृत्व में अनिश्चितकालिन हड़ताल पर बैठे आदिवासियों का कहना है कि वो तबतक नहीं हटेंगे जबतक सरकार खदान नंबर 13 के खनन की अनुमति को रद्द किया जाता। उनके मुताबिक खदान नंबर-13 में आदिवासियों का पूज्यनीय स्थल है, जिसे वे नंदी राज पर्वत भी कहते हैं।

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इसके साथ ही आदिवासियों के इस आंदोलन को जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन मिल रहा है। दस हजार से ज्यादा आदिवासी अडानी का विरोध करने आंदोलन में शामिल हैं। आदिवासियों के प्रदर्शन को लेकर पुलिस और प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है, वहीं सरकार का कहना है कि बैलाडीला मे अयस्क खनन की प्रक्रिया पिछली बीजेपी सरकार ने किया है। लोगों को बिना विश्वास में लिए इतना बड़ा निर्णय कैसे लिया गया। उसकी समीक्षा की जरूरत है।

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दरअसल बैलाडीला के खदान नंबर-13 को 2015 में पर्यावरण विभाग की अनुमति मिली। हैरानी की बात है कि एनएमडीसी द्वारा टेंडर जारी किए गए टेंडर से ठीक पहले सितंबर 2018 में अडानी ग्रुप ने बैलाडीला आयरन और माइनिंग कंपनी गठित की। दिसंबर 2018 में कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट भी मिल गया। अब जब सरकार बदल गई तो सरकार इसे पिछली सरकार का निर्णय बता रही है। सियासी खींचतान के बीच सबके जहन में सवाल यही है कि नंदीराज पहाड़ को बचाने के लिए आदिवासियों का जो संग्राम शुरू हुआ है, वो कहां जाकर और कैसे रुकेगा।