खारून नदी के तट पर बसा कैवल्यधाम मंदिर, 24 तीर्थंकरों का समावेश है यहां

खारून नदी के तट पर बसा कैवल्यधाम मंदिर, 24 तीर्थंकरों का समावेश है यहां

  •  
  • Publish Date - March 6, 2019 / 10:06 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 06:54 AM IST

पर्यटन डेस्क। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खारून के नदी के तट पर स्थित कैवल्यधाम मंदिर पहली नजर में ही अपनी भव्यता का अहसास करवाती है और ये जानी जाती है पवित्र जैन धर्म के तीर्थ के रूप में..यहां आने वाले हर श्रद्धालु, जैन मुनि और साध्वी..भगवान आदिनाथ के चरणों में नतमस्तक हो जाते हैं और अपने जीवन को धन्य मानते है। भगवान आदिनाथ जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे। .भगवान आदिनाथ ने लोगों को त्याग, दान और सेवा का महत्व समझाया। जब तक राजा थे उन्होंने गरीब जनता, संन्यासियों और बीमार लोगों के उत्थान के लिए काम किया।

कैवल्यधाम में एक मुख्य मंदिर मूलनायक भगवान आदिनाथ का है और मंदिर के दोनों तरफ 24 तीर्थंकरों के मंदिर बनाए गए हैं जिनमें दोनों तरफ 12-12 तीर्थंकरों की मूर्ति स्थापित की गई है। ये देश का एकमात्र इकलौता मंदिर है जहां पर एकसाथ 24 तीर्थंकरों की मुर्तियों के दर्शन आपको एक साथ होंगे।

जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए इन्होने अपना सबकुछ त्याग कर दिया और संसार को ईश्वर की राह दिखाने के लिए निकल पड़े। 24 तीर्थंकरों के दर्शन के लिए कैवल्यधाम में 24 मंदिर बनाए गए हैं.दर्शनार्थी एक बार में ही 24 तीर्थंकरों के दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं। इन तीर्थंकरों में भगवान ऋषभदेव पहले तीर्थंकर रहे है।

जिन्हे बाद में भगवान आदिनाथ कहा गया, इनके अलावा अजितनाथजी, सम्भवनाथजी, अभिनन्दन स्वामी, सुमतिनाथजी, पद्मप्रभुजी, सुपार्श्वनाथजी, चन्द्रप्रभुजी, सुविधीनाथजी,शीतलनाथजी, श्रेयांसनाथजी, वासुपूज्य जी ,विमलनाथजी, नन्तनाथजी,धर्मनाथजी, शान्तिनाथजी, कुन्थुनाथजी, अरनाथजी, मल्लिनाथजी, मुनिसुब्रतजी, नमिनाथजी, नेमिनाथजी, पार्श्वनाथजी, वर्धमान महावीर स्वामी शामिल हैं..भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के आखिरी तीर्थंकर थे..मंदिर में प्रात: कालिन विशेष पूजा का एक अलग ही आकर्षण होता है..कैवल्यधाम तीर्थ में आने वाले साधु साध्वियों की उपस्थिति आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है।

ये भी पढ़ें –एक्शन और एडवेंचर से भरा जंगली का ट्रेलर रिलीज, विद्युत जामवाल दिखे वाइल्ड अंदाज़ में

जैन धर्म में दीक्षा का एक अलग स्थान है..ऐसे लोग जो परमात्मा की सेवा में लीन होना चाहते हैं कैवल्यधाम मंदिर में आकर दीक्षा लेते हैं..ये लोग अपना सबकुछ त्याग कर साधु संतों के जीवन को अपनाते हैं..और सांसारिक मोह का त्याग कर अपना जीवन ईश्वर को समर्पित करते हैं। कैवल्यधाम मंदिर पहली नजर में ही भव्य नजर आता है। पूरी तरह पत्थरों से बने मंदिर के स्तंभों पर कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर के भव्य द्वार और गुंबद वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं।

 

ये भी पढ़ें -मेड इन हेवन के लिए ज़ोया अख्तर और विजय राज आये साथ

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से नजदीक कुम्हारी में स्थित कैवल्यधाम तीर्थ को देखकर ही एक विशेष अनुभूति होती है। मंदिर की बनावट और वास्तुकला एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। इस तीर्थ मंदिर की शुरूआत आर्टिफिशियल पहाड़ों से होती है जिसे मंदिर को ऊंचाई पर दिखाने के लिए बनाया गया है। पूरी तरह पत्थरों से बने इस मंदिर के निर्माण में कहीं भी छड़ों का उपयोग नहीं किया गया है। गुजरात के कारीगरों ने मंदिर को मूर्त रूप दिया है..भगवान आदिनाथ और 24 तीर्थंकरों की मूर्तियां सफेद मार्बल से बनी है…मूलनायक भगवान आदिनाथ के गर्भगृह में अंदर की ओर सोने के बारिक काम काम किए गए हैं जो इसको और भी खास बनाता है..मंदिर के खंभों पर बनी योगनियों और इंद्र इंद्राणी की कलाकृतियां बेहतरीन कारीगरी का नमूना है…बेजोड़ नक्काशी, ऊंची दीवारें..बेहतरीन खंभों की कलाकृतियां और यहां का भक्तिमय वातावरण आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।