उत्तर प्रदेश में मवेशियों को लंपी वायरस रोधी टीके की 1.58 करोड़ खुराक दी गई

उत्तर प्रदेश में मवेशियों को लंपी वायरस रोधी टीके की 1.58 करोड़ खुराक दी गई

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  • Publish Date - November 30, 2022 / 10:09 AM IST,
    Updated On - November 30, 2022 / 10:09 AM IST

लखनऊ, 30 नवंबर (उप्र) उत्तर प्रदेश में दो महीने से भी कम समय में मवेशियों को लंपी वायरस रोधी टीके की 1.58 करोड़ खुराक दी गई। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

एक सरकारी बयान के मुताबिक, समय रहते राज्य में गोवंश की महामारी पर काबू पा लिया गया, जबकि देश के विभिन्न हिस्सों में मवेशी इससे संक्रमित हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वायरस को गंभीरता से लेते हुए टीकाकरण की प्रभावी निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगस्त के पहले सप्ताह में ‘टीम-9’ का गठन किया, जिससे आज राज्य लगभग पूरी तरह से गोवंश के वायरस से मुक्त हो गया है।

टीम के वरिष्ठ नोडल अधिकारियों ने राज्य के बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा एवं अलीगढ़ मंडलों का दौरा किया और टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए गए।

अभियान को सार्थक बनाने के लिए ‘हाईब्रिड मॉडल’ में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन प्रशिक्षण कराया गया। राज्य सरकार को उसके अभियान में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालयों के छात्रों और निजी टीकाकरण कर्मियों का भी सक्रिय सहयोग मिला।

सबसे पहले राज्य के पश्चिमांचल के 25 प्रभावित जिलों में 28 अगस्त से टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके बाद वायरस का प्रसार पश्चिमांचल से मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में न हो इसके लिए पीलीभीत से इटावा तक 10 किलोमीटर चौड़ी एवं 320 किलोमीटर लंबी पट्टी (टीकाकरण बेल्ट) बनाने का निर्णय लिया गया। बेल्ट वैक्सीनेशन में आने वाले सभी गोवंश का टीकाकरण किया गया। इसके बाद दोबारा इटावा से औरैया तक 155 किलोमीटर लंबी पट्टी (बेल्ट वैक्सीनेशन-2) बनाने का निर्णय लिया गया। टीकाकरण के लिए शुरू में दो लाख टीका प्रतिदिन का लक्ष्य रखा गया, जिसे बढ़ाकर तीन लाख से चार लाख कर दिया गया।

राज्य में दो महीने से भी कम समय में हुए 1.58 करोड़ टीकाकरण के लिए 2000 टीम बनाई गई थी। चिकित्सकों की टीम द्वारा 26 जिलों में 89 समर्पित गौ चिकित्सा स्थल बनाये गये। वहीं वायरस को रोकने के लिए सभी गो आश्रय स्थलों एवं गौशालाओं में संरक्षित गोवंश का बड़े पैमाने पर टीकाकरण करते हुए अंतरजिला और अंतरराज्यीय सीमाओं पर गोवंश के टीकाकरण को प्राथमिकता दी गयी। सबसे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों एवं उसके बाद मध्य, बुंदेलखंड एवं अंत में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में अभियान चलाया गया।

भाषा जफर सुरभि

सुरभि