पीलीभीत में बाघों को भगाने के लिए ‘संगीत’ का इस्तेमाल कर रहे किसान

पीलीभीत में बाघों को भगाने के लिए 'संगीत' का इस्तेमाल कर रहे किसान

पीलीभीत में बाघों को भगाने के लिए ‘संगीत’ का इस्तेमाल कर रहे किसान
Modified Date: December 14, 2025 / 08:01 pm IST
Published Date: December 14, 2025 8:01 pm IST

पीलीभीत (उप्र), 14 दिसंबर (भाषा) पीलीभीत बाघ अभयारण्य (पीटीआर) की माला रेंज से सटे गांवों में रहने वाले किसानों ने गन्ने की कटाई के दौरान सौर ऊर्जा से चलने वाले ‘साउंड सिस्टम’ पर तेज आवाज में गाने बजाकर बाघों को अपने खेतों से दूर रखने का एक अनोखा तरीका निकाला है।

किसानों ने बताया कि शोर से वन्यजीवों को खेतों से दूर रखा जा सकता है। चूंकि गन्ने के खेत घने होते हैं और दृश्यता कम होती है, इसलिए कटाई के दौरान बाघों से अचानक सामना होने का खतरा ज्यादा रहता है।

वन एवं वन्य जीव प्रभाग के उप रेंजर शेर सिंह ने पत्रकारों को बताया कि वन विभाग भी किसानों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

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वन अधिकारी के अनुसार, किसानों के इस ‘देसी जुगाड़’ से जहां उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो रही, वहीं गन्ने के खेतों में काम के दौरान संगीत से श्रमिकों का मनोरंजन भी हो रहा है।

सिंह ने बताया कि यह इंसानों और वन्यजीवों के बीच सुरक्षित दूरी बनाने का नया और अनोखा तरीका बन गया है।

माला रेंज के रामनगरिया, अजीतपुर, जमुनिया, महुआ, माला घेरा, रिछोला और बसंतापुर जैसे गांवों में बाघों की आवाजाही से ग्रामीण अक्सर दहशत में रहते हैं।

हाल में महुआ गांव में किसान भगवान दास के खेत में बाघ के पदचिह्न मिलने से किसानों की चिंता और बढ़ गई।

सिंह ने बताया कि जमुनिया गांव के किसान कृष्ण कुमार ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस खतरे से निपटने के लिए मनोरंजन के साथ ‘म्यूजिकल’ तरीका विकसित किया है।

कृष्ण कुमार के अनुसार, गन्ने के घने खेतों में काम करना जोखिम भरा होता है और यह माना जाता है कि शोर से वन्य जीव दूर भागते है, इसलिए तेज आवाज में गाने बजाने से वन्यजीव खेतों के पास आने से बच सकते हैं।

उन्‍होंने बताया कि यह तरीका प्रभावी साबित हो रहा है, जिससे किसान अब समूह में बिना डर के अपने कृषि कार्यों को पूरा कर पा रहे हैं।

भाषा सं आनन्द नोमान

नोमान


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