कांग्रेस की विचारधारा की रक्षा के लिए लड़ रहा हूं अध्यक्ष पद का चुनाव : खरगे

कांग्रेस की विचारधारा की रक्षा के लिए लड़ रहा हूं अध्यक्ष पद का चुनाव : खरगे

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  • Publish Date - October 11, 2022 / 09:51 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

लखनऊ, 11 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस को मजबूत करने और उसकी विचारधारा को बचाने के लिये उन्होंने यह चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

खरगे आज लखनऊ पहुंचे और चुनाव में वोट डालने वाले उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिये गांधी परिवार के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद उन्होंने अपने शुभचिन्तकों से सलाह मशविरा करके यह चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।

उन्होंने कहा, ”कांग्रेस की मजबूती और विचारधारा को बचाने के लिए मैंने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।”

खरगे ने कहा, ”पूरे देश में मैं अपनी पार्टी के 9,000 से ज्यादा पदाधिकारियों और शुभचिन्तकों से मिलकर अपने लिए समर्थन मांग रहा हूं। मैंने उदयपुर चिन्तन शिविर की जो घोषणायें हैं, उन्हीं को शामिल करके अपना घोषणापत्र बनाया है। संगठन में 50 प्रतिशत पद 50 वर्ष से कम आयु वाले लोगों को दिये जायेंगे और अन्य जो भी घोषणायें हैं उन्हें भी मैं लागू करूंगा। मुझे पूरा भरोसा है कि सभी का समर्थन मुझे मिलेगा।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश बहुत अहम प्रदेश है और प्रियंका गांधी वाद्रा के प्रभारी बनने के बाद उत्तर प्रदेश में लोगों का कांग्रेस के प्रति रूझान बढ़ा है। विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को आशाअनुरूप नतीजे नहीं मिले लेकिन भविष्य में जनता कांग्रेस के प्रति आशा भरी नज़रों से देख रही है।

खरगे ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि वह अध्यक्ष पद का चुनाव जीतेंगे और इसमें उत्तर प्रदेश का अहम योगदान होगा।

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने कहा कि पार्टी में हो रहे संगठनात्मक चुनाव और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा की जा रही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तमाम सवाल खड़े कर रहे हैं। इन दोनों का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है और वे अंग्रेजों की ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति पर विश्वास करते हैं। देश की आजादी कांग्रेस ने दिलाई। भारतीय जनता पार्टी या संघ का कोई भी कार्यकर्ता देश की आजादी के लिए ना ही जेल गया और न ही फांसी पर लटका बल्कि इनके कार्यकर्ता अंग्रेजों के सहयोगी रहे और बदले में अंग्रेजों से पेंशन उठाते रहे।

भाषा सलीम अर्पणा

अर्पणा