कन्नौज के ‘इत्र’ निर्माताओं, आलू उत्पादकों को आस है कि उनकी चिंताओं को अनसुना नहीं किया जाएगा

कन्नौज के 'इत्र' निर्माताओं, आलू उत्पादकों को आस है कि उनकी चिंताओं को अनसुना नहीं किया जाएगा

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  • Publish Date - May 10, 2024 / 06:38 PM IST,
    Updated On - May 10, 2024 / 06:38 PM IST

(अभिनव पांडेय)

कन्नौज (उप्र), 10 मई (भाषा) हाईप्रोफाइल कन्नौज लोकसभा क्षेत्र, जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सुब्रत पाठक आमने-सामने हैं, के प्रसिद्ध ‘इत्र निर्माताओं और आलू उत्पादकों को उम्मीद है कि राजनीतिक लड़ाई में उनकी चिंताओं को अनसुना नहीं किया जाएगा।

कन्नौज संसदीय सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान है। इस सीट से अपना नामांकन दाखिल करने के बाद यादव ने कन्नौज की खुशबू दुनिया भर में फैलाने का वादा किया।

उधर, अपनी रैलियों के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल जी 20 मेहमानों को यहां का इत्र उपहार देकर उसे भाजपा द्वारा दिए गए महत्व का उल्लेख किया।

यहां चुनाव प्रचार अपने चरम पर है और प्रतिद्वंद्वी दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। पर इन सब के बीच, बड़ा बाजार के इत्र निर्माता चाहते हैं कि उनकी बात सुनी जाए।

इत्र कारोबारी सुशील कुमार जैन ने कहा कि सपा के शासन काल में इत्र निर्माण की सामग्री गुलकंद और गुलाब जल को कर मुक्त कर दिया गया था।

उन्होंने कहा,‘‘इससे व्यापारियों को काफी राहत मिली। भाजपा सरकार ने इस पर टैक्स लगा दिया है। सरकार को आवश्यक तेलों पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी में राहत देनी चाहिए ताकि छोटे व्यापारी आगे बढ़ सकें। सरकार को इत्र इकाइयां लगाने के लिए सब्सिडी भी देनी चाहिए ताकि छोटे व्यापारी लाभान्वित हों।’’

जैन ने कहा कि ‘परफ्यूम पार्क’ में छोटे व्यापारियों को दुकानें आवंटित की जानी चाहिए, ताकि छोटे व्यापारियों को लाभ मिल सके।’

परफ्यूम पार्क के वजूद में आने में हो रही देरी का मुद्दा अखिलेश यादव खुद उठा रहे हैं। यह पार्क 2015 में सपा शासनकाल के दौरान प्रस्तावित किया गया था।

परफ्यूमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी ने कहा कि पार्क का पहला चरण तैयार है और 15 दुकानें आवंटित की गई हैं।

उन्होंने कहा, ”40 करोड़ रुपये की खुशबू और फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर (एफएफडीसी) प्रयोगशाला भी तैयार है और पैकेजिंग संस्थान का काम जारी है।”

उन्होंने कहा कि गाय के गोबर के उपले और लकड़ी का उपयोग करके फूलों से सुगंध निकालने के लिए हाइड्रो-डिस्टिलेशन के उपयोग को समाप्त करने के लिए गैस पाइपलाइन का काम शुरू कर दिया गया है।

एक अन्य इत्र निर्माता ललित मौर्य ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में इस निर्वाचन क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ है, जिसके कारण लोग नाराज हैं।

शहर के आलू उत्पादक आलू आधारित उद्योग चाहते हैं, जिसका वादा राजनीतिक दलों ने पहले किया था, ताकि उनकी फसलें बर्बाद न हों।

उदैतापुर गांव के विनय दुबे ने बताया कि प्रदेश में सबसे ज्यादा आलू का उत्पादन कन्नौज में होता है। उन्होंने कहा, ‘‘2019 में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां आलू आधारित उद्योग का वादा किया था, लेकिन पांच साल बाद भी कुछ नहीं हुआ, हम निराश हैं।’’

गोखरू के आदित्य कटियार ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ करना चाहिए कि उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य मिले।

नारायन पुरवा के राधेश्याम दोहरे का कहना है कि अगर यहां आलू के चिप्स या स्टार्च की फैक्टरी लगे तो किसानों को फायदा होगा।

अखिलेश यादव और सुब्रत पाठक के अलावा बसपा के इमरान बिन जाफर भी चुनाव मैदान में हैं। कन्नौज में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें छिबरामऊ, तिर्वा और कन्नौज विधानसभा क्षेत्र कन्नौज जिले में हैं जबकि बिधूना और रसूलाबाद विधानसभा क्रमशः औरैया और कानपुर देहात जिलों में हैं।

बिधूना को छोड़कर, जहां सपा विजयी रही, भाजपा ने चार सीट जीतीं। अखिलेश ने 2000 के उपचुनाव में इस लोकसभा सीट से अपनी राजनीतिक शुरुआत की जिसके बाद उन्होंने 2004, 2009 में इस सीट का लगातार प्रतिनिधित्व किया।

मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव द्वारा यह सीट छोड़ने के बाद 2012 के उपचुनाव में उनकी पत्नी डिंपल ने यहां से निर्विरोध चुनाव जीता। उन्होंने 2014 में सीट बरकरार रखी, लेकिन 2019 में सुब्रत पाठक ने डिंपल को पराजित कर दिया।

समाजवादी नेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने 1967 में पहली बार यह सीट जीती थी। इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 19 लाख मतदाता हैं, जिनमें लगभग तीन लाख मुस्लिम, 2.5 लाख ब्राह्मण और यादव और चार लाख से अधिक दलित मतदाता हैं।

भाषा अभिनव आनन्‍द संतोष राजकुमार

राजकुमार