पंकज चौधरी : 36 वर्षों की राजनीति में पार्षद से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर
पंकज चौधरी : 36 वर्षों की राजनीति में पार्षद से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर
गोरखपुर/लखनऊ (उप्र), 14 दिसंबर (भाषा) अपने परिवार और दोस्तों के बीच ‘पिंकी बाबू’ के नाम से मशहूर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने 36 वर्षों की राजनीति में गोरखपुर नगर निगम के पार्षद से लेकर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष तक का शानदार सफर तय किया है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को यहां राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में सात बार के सांसद पंकज चौधरी के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा की।
चौधरी के करीबी लोगों ने बताया कि वह वर्ष 1989 में गोरखपुर नगर निगम में निर्दलीय पार्षद चुने गये थे और उन्होंने निगम के उप महापौर का पद हासिल किया था। इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और वर्ष 1991 में गोरखपुर से कुछ ही समय पहले विभाजित होकर नया जिला बने महराजगंज के संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए।
महराजगंज से सातवीं बार के निर्वाचित सांसद और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री चौधरी को पूर्वांचल में एक प्रमुख कुर्मी चेहरे के रूप में देखा जाता है। 15 नवंबर, 1964 को गोरखपुर के एक जाने-माने कारोबारी परिवार में जन्मे चौधरी पढ़ाई में होशियार थे और शुरू में राजनीति की बजाय समाज सेवा की ओर झुकाव रखते थे।
एक जानकार ने बताया कि पंकज के बड़े भाई प्रदीप चौधरी ने उन्हें सार्वजनिक जीवन में आने के लिए मनाया, यह कहते हुए कि समाज की सेवा करने का सबसे प्रभावी तरीका राजनीति है।
चौधरी ने सिर्फ 25 साल की उम्र में एक निगम पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया, और विकास कार्य करवाने के लिए अपनी पहचान बनाई। उनके सक्रिय रवैये ने उन्हें एक साल के भीतर उप महापौर बनने में मदद की।
वह 1990 में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हुए और 1991 में राम मंदिर लहर के बीच महराजगंज से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। तब से, चौधरी एक प्रभावशाली और मिलनसार राजनीतिक हस्ती बने हुए हैं। उनके नरम स्वभाव और सभी पार्टियों के साथ अच्छे संबंधों के लिए उन्हें सराहा जाता है। बिना किसी विरोध के चुने जाने वाले चौधरी का उदय जमीनी राजनीति, संगठनात्मक वफादारी और स्थायी सार्वजनिक जुड़ाव का मिश्रण दिखाता है।
भाषा सं आनन्द शफीक
शफीक

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