Vijayadashami Festival with CM Yogi in Gorakhpur : गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी उत्सव की शुरुआत मंगलवार सुबह श्रीनाथ जी (गुरु गोरखनाथ के रूप में भगवान शिव के अवतार) को समर्पित एक विशेष पूजा के साथ हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षपीठाधीश्वर की पोशाक पहनकर परंपरा का पालन करते हुए श्रीनाथ जी की पूजा-अर्चना की। मंदिर प्रशासन के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने श्रीनाथ जी की पूजा के बाद मंदिर में सभी देवताओं के लिए एक विशेष पूजा-अर्चना भी की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने श्रीनाथ जी और मंदिर में सभी देव प्रतिमाओं की परिक्रमा की तथा राज्य के लोगों की भलाई एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
Vijayadashami Festival with CM Yogi in Gorakhpur : इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में नाथ संप्रदाय के पारंपरिक वाद्ययंत्र नागफनी, शंख, ढोल, घंट और डमरू की गूंज रही। इससे माहौल भक्तिमय हो गया। मंदिर प्रशासन के अनुसार, मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी के दौरान विशेष पूजा की प्रक्रिया के एक भाग के रूप में गौ-सेवा भी की। उन्होंने गाय को तिलक लगाया और घास, गुड़ तथा अन्य प्रसाद खिलाते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया। इसने बताया कि गोरक्षपीठाधीश्वर ने भीम सरोवर की भी पूजा की और इसमें मौजूद मछलियों को दाना खिलाया।
गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में इस वर्ष भी विजयदशमी के दिन गोरखनाथ मंदिर से धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाएगी। मंगलवार की शाम गोरक्षपीठाधीश्वर गुरु गोरक्षनाथ का आशीर्वाद लेकर अपने वाहन पर सवार होंगे। तुरही, नगाड़े व बैंड बाजे की धुन के बीच की उनकी शोभायात्रा मानसरोवर मंदिर पहुंचेगी। इस दिन सीएम योगी दंडाधिकारी के रूप में दिखाई देते हैं। इस दौरान वह साधु संतों के न्याय की बात करते हैं। साल में यह एकमात्र ऐसा मौका होता है जिस दिन मुख्यमंत्री का अनोखा रूप सामने आता है।
गोरक्षपीठ से प्रति वर्ष विजयदशमी को निकलने वाली विजय शोभायात्रा अनूठी होती है। गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई वाली परंपरागत शोभायात्रा में हर वर्ग के लोग तो शामिल होते ही हैं, इसका अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम व बुनकर समाज) के लोगों द्वारा भव्य स्वागत भी किया जाता है। गोरखनाथ मंदिर परिसर में अल्पसंख्यक समुदाय के ऐसे दुकानदार बहुतायत में हैं जो पीढ़ियों से यहीं रोजी-रोजगार में लगे हैं।
दशहरे के दिन गोरखनाथ मंदिर की विजयदशमी शोभायात्रा का इंतजार तो पूरे शहर को होता है लेकिन सबसे अधिक उत्साह अल्पसंख्यक समुदाय के उन लोगों में दिखता है जो मंदिर के मुख्य द्वार से थोड़ी दूर घंटों पहले फूलमाला लेकर गोरक्षपीठाधीश्वर के स्वागत को खड़े रहते हैं।
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