कोरोना के इलाज के लिए जल्द आएगी नई एंटी वायरल दवा, अस्पताल में नहीं होना पड़ेगा भर्ती

कोविड के लिए एक नयी एंटीवायरल दवा का मनुष्यों में किया जा रहा है परीक्षण

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  • Publish Date - September 24, 2021 / 02:09 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

(फिलिपा हंडरसन सौसा और पीटर बार्लो, एडिनबर्ग नैपियर यूनिवर्सिटी)

एडिनबर्ग, 24 सितंबर (द कन्वरसेशन) टीकों के प्रभावी होने के बावजूद हमें कोविड-19 का इलाज करने के लिए दवाइयों की आवश्यकता है। यहां तक कि टीके की दोनों खुराक लेने वाले लोगों के भी संक्रमण की चपेट में आने की थोड़ी आशंका होती है और वे मध्यम या गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं। कोविड-19 का इलाज करने के लिए दवाइयां हैं लेकिन उन्हें अस्पताल में देना होता है।

बीमारी में कारगर होने वाली हमारी एक विश्वसनीय मोल्नुपिराविर नाम की एंटी वायरल दवा है जिसका मनुष्यों में इस्तेमाल का अंतिम चरण का परीक्षण किया जा रहा है। अनुसंधानकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इसका इस्तेमाल संक्रमण का इलाज करने और उसे रोकने दोनों में किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसे गोली के तौर पर लिया जा सकता है। यानी लोगों को यह लेने के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ेगा।

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यह दवा सार्स-सीओवी-2 की क्षमता कम कर देती है जो कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार वायरस है। यह वायरस की आनुवंशिक सामग्री के निर्माण खंडों में से एक की नकल करके असर करती है। जब वायरस दोबारा पैदा होता है तो यह अपने राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) की नयी प्रति बनाती है और अंत में दवा इसमें मिल जाती है।

यह कितनी अच्छी तरह काम करती है?

अभी तक कोविड-19 के 202 मरीजों में मोल्नुपिराविर के असर पर छोटा सा ट्रायल किया गया है। ये ऐसे मरीज थे जिनमें लक्षण दिखने शुरू हुए थे और अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे। परीक्षण में भाग लेने वाले लोगों में से किसी को मोल्नुपिराविर दिया गया तो किसी को प्लेसेबो दिया गया।

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परीक्षण के नतीजे एक प्रीप्रिंट के तौर पर प्रकाशित किए गए यानी अन्य वैज्ञानिकों ने अभी औपचारिक रूप से उनकी समीक्षा नहीं की है। परीक्षण से पता चलता है कि तीन दिन तक इलाज के बाद संक्रामक सार्स-सीओवी-2 वायरस उन लोगों में कम पाया गया जिन्होंने प्लेसेबो (17 प्रतिशत) के मुकाबले मोल्नुपिराविर की 800 मिलीग्राम (2 प्रतिशत) ली थी।

पांचवें दिन तक उन लोगों में वायरस नहीं मिला जिन्होंने मोल्नुपिराविर की 400 मिलीग्राम या 800 मिलीग्राम दवा ली थी लेकिन प्लेसेबो लेने वाले लोगों में वायरस 11 प्रतिशत तक पाया गया। इस परीक्षण से यह पता चलता है कि मोल्नुपिराविर कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों में संक्रामक सार्स-सीओवी-2 खत्म कर सकती है। यह न केवल कोरोना वायरस के इलाज में बल्कि उसके फैलने का खतरा भी कम कर सकती है।

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अब इस दवा का 1,850 लोगों के साथ बड़ा ट्रायल किया जा रहा है। अगर इन ट्रायल में यह अच्छा प्रदर्शन करती है तो इसका असर बड़ा हो सकता है। सार्स-सीओवी-2 से गंभीर रूप से बीमार पड़ने के मद्देनजर यह एंटीवायरल दवा कीमती हथियार साबित हो सकती है।

यह कहां से आयी?

एंटीवायरल दवाएं बनाने में लंबा वक्त लगता है। महामारी के 18 महीनों में मोल्नुपिराविर के उपलब्ध होने की वजह यह है कि इसे खासतौर से कोरोना वायरस के इलाज के लिए विकसित नहीं किया गया। यह विभिन्न प्रकार के वायरस के खिलाफ काम कर सकती है। इसे अमेरिका के एमरी विश्वविद्यालय में 2013 में बनाना शुरू किया गया था।

तब एक्विन इंसेफेलाइटिस संक्रमण के इलाज के लिए इस एंटीवायरल दवा की तलाश शुरू हुई। यह बीमारी अमेरिका में मनुष्यों और जानवरों के लिए बड़ा खतरा है। व्यापक जांच से यह पुष्टि हुई कि यह दवा आरएनए वायरसों को फिर से होने से रोक सकती है जिसमें इन्फ्लूएंजा वायरस, कई कोरोना वायरस और रेस्पिरेटरी सिनसिटियल वायरस भी शामिल है।

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शुरुआत में मोल्नुपिराविर के निर्माताओं ने मौसमी इन्फ्लुएंजा के इलाज के तौर पर मनुष्यों में इसकी जांच की अनुमति के लिए अमेरिका के खाद्य एवं दवा प्रशासन के पास आवेदन किया। हालांकि कोविड-19 महामारी फैलने और सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ इसका असर होते दिखने के बाद इस वायरस के खिलाफ भी इसकी जांच का अनुरोध किया गया। हो सकता है कि किसी दिन विभिन्न बीमारियों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाए।

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