एयरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली तीसरी भारतवंशी महिला बनीं

एयरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली तीसरी भारतवंशी महिला बनीं

एयरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली तीसरी भारतवंशी महिला बनीं
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 pm IST
Published Date: July 11, 2021 4:09 pm IST

(सीमा हाकू काचरू)

ह्यूस्टन, 11 जुलाई (भाषा) एयरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला रविवार को अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गई। उन्होंने न्यू मैक्सिको से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रानसन सहित वर्जिन गैलेक्टिक के पूर्ण चालक दल सदस्य के साथ उपकक्षीय परीक्षण उड़ान भरी।

वर्जिन गैलेक्टिक वीएसएस यूनिटी अंतरिक्ष यान है जिसने खराब मौसम की वजह से करीब 90 मिनट की देरी से 1.5 घंटे की उड़ान न्यू मैक्सिको के ऊपर भरी।

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बांदला, ब्रानसन और पांच अन्य लोगों के साथ वर्जिन गैलेक्टिक अंतरिक्ष यान पर सवार हुईं और न्यू मैक्सिकों से उड़ान भरी।

उड़ान भरने से पहले बांदला ने ट्वीट किया, ‘‘ यूनिटी 22 के शानदार चालक दल का सदस्य और कंपनी का हिस्सा बनाकर अभूतपूर्व तरीके से सम्मानित किया है जिसका मिशन अंतरिक्ष को सभी के लिए मुहैया कराना है।’’

उन्होंने छह जुलाई को वर्जिन गैलेक्टिक के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया था, ‘‘जब मैंने सुना कि मुझे यह अवसर मिल रहा है, तब मैं … निशब्द हो गई। मैं मानती हूं कि संभवत: सही हुआ। यह अलग-अलग पृष्ठभूमि, भौगोलिक क्षेत्र, समुदाय के लोगों के अंतरिक्ष में होने का अभूतपूर्व अवसर है।’’

यूनिटी 22 का प्राथमिक उ्द्देश्य वर्जिन गैलेक्टिक द्वारा भविष्य की यात्री उड़ानों के लिए परीक्षण करना है।

बता दें कि बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ है जबकि उनकी परवरिश ह्यूस्टन में हुई है। अंतरिक्ष यात्री के तौर पर उनका बैज संख्या 004 है और उड़ान में उनकी भूमिका अनुसंधान करने की है। अन्य चालक दल सदस्यों में दो पायलट और अरबपति ब्रानसन सहित तीन अन्य लोग हैं। ब्रानसन एक हफ्ते में 71 साल के हो जाएंगे।

बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गई हैं। उनसे पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं। हालांकि, भारतीय नागरिक के तौर पर अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले एक मात्र विंग कमांडर राकेश शर्मा हैं। वायुसेना के पूर्व पायलट शर्मा तीन अप्रैल 1984 को सोवियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के तहत सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष में गए थे।

बांदला जब चार साल की थीं तब अमेरिका चली गई थीं और वर्ष 2011 में पुर्डे यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एयरोनॉटिक्स से विज्ञान में स्नातक किया। उन्होंने वर्ष 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की।

भाषा धीरज नरेश

नरेश


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