लंदन, 22 मई (एपी) ब्रिटेन ने बृहस्पतिवार को विवादित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। सरकार का कहना है कि यह कदम अमेरिका-ब्रिटिश सैन्य अड्डे के भविष्य को सुनिश्चित करता है, जो ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
इससे पहले ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस को सौंपने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाई गई रोक हटा दी थी।
दोनों देशों के नेताओं द्वारा बृहस्पतिवार को समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने से कुछ घंटे पहले, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने हस्तांतरण पर रोक लगाने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया था।
हालांकि सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने कहा कि रोक हटा दी जानी चाहिए।
ब्रिटेन ने हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने पर सहमति जताई है। यहां सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक और बमवर्षक विमान अड्डा है। इसके बाद ब्रिटेन कम से कम 99 वर्षों के लिए इस अड्डे को पुनः पट्टे पर ले सकेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से इस संबंध में परामर्श लिया गया था और उसने अपनी स्वीकृति दे दी, लेकिन लागत को लेकर अंतिम क्षणों में बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप देने में देरी हुई।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर ने कहा है कि उन्होंने चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने वाले समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
हिंद महासागर में स्थित यह द्वीपसमूह, सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक और बमवर्षक विमानों का अड्डा है।
स्टॉर्मर ने कहा कि यह समझौता उस अड्डे के भविष्य को सुरक्षित करता है जो “हमारे देश में सुरक्षा और संरक्षा की नींव पर है।”
इस समझौते पर बृहस्पतिवार की सुबह एक ऑनलाइन समारोह में स्टॉर्मर और मॉरीशस के नेता नवीन रामगुलाम द्वारा हस्ताक्षर किए जाने थे। लेकिन हस्ताक्षर करने में कई घंटों की देरी हुई क्योंकि ब्रिटेन के एक न्यायाधीश ने दो चागोस के कार्यकर्ताओं की अपील पर अंतिम समय में इस हस्तांतरण को रोकने के लिए निषेधाज्ञा लगा दी थी। बाद में दूसरे न्यायाधीश द्वारा निषेधाज्ञा हटा ली गई।
ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम अवशेषों से एक चागोस द्वीपसमूह 1814 से ब्रिटेन के नियंत्रण में रहा है। ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस से इस द्वीपसमूह को अलग कर दिया था। मॉरीशस को इसके तीन साल बाद स्वतंत्रता मिली।
एपी
देवेंद्र धीरज
धीरज
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