हमलों के बावजूद टीटीपी, पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच संघर्षविराम जारी

हमलों के बावजूद टीटीपी, पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच संघर्षविराम जारी

हमलों के बावजूद टीटीपी, पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच संघर्षविराम जारी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:44 pm IST
Published Date: September 5, 2022 3:49 pm IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, पांच सितंबर (भाषा) प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) समूह और पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच नाजुक संघर्षविराम खूंखार आतंकी संगठन द्वारा छिटपुट हमलों के बावजूद जारी है। यह जानकारी सोमवार को मीडिया की एक खबर से मिली।

‘डॉन’ अखबार ने प्रक्रिया के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों के हवाले से कहा कि अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली जिलों में लगभग दो दशकों से जारी संघर्ष समाप्त करने के वास्ते टीटीपी के साथ शांति वार्ता तब से रुकी हुई है जब एक प्रतिनिधिमंडल ने जुलाई के अंत में आखिरी दौर की बातचीत की थी। उक्त प्रतिनिधिमंडल में अधिकतर कबायली नेता थे।

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समाचारपत्र ने एक अधिकारी के हवाले से कहा, ‘‘कोई प्रगति नहीं हुई है। सब कुछ रुका हुआ है।’’

हाल ही में, शांति वार्ता के भविष्य पर सवाल उठाए गए थे जब यह खबर आयी थी कि सशस्त्र आतंकवादी स्वात, दीर और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के कबायली जिलों के कुछ हिस्सों में लौट आए हैं।

हालांकि सरकार की ओर से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की गई, लेकिन लौटने वाले आतंकवादियों ने दावा किया कि उन्होंने एक समझौते के बाद ऐसा किया है। हालांकि, काबुल में वार्ता के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘एकमात्र ‘समझौता’ अनिश्चितकालीन संघर्षविराम और जटिल मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत जारी रखने के बारे में था, जिसमें आतंकवादियों की वापसी और समाज में उनका पुन: एकीकरण शामिल था।’’

उन्होंने समझाया, ‘‘हमारी ओर से मांग थी कि टीटीपी को भंग किया जाए और वे निहत्थे लौट आएंगे। बेशक, वे सहमत नहीं थे, वैसे ही जैसे हम उनकी कुछ मांगों से सहमत नहीं थे।’’

टीटीपी मई के युद्धविराम समझौते के बाद से लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि जब भी और जहां भी हमला किया गया, उसने आत्मरक्षा में काम किया था, जिसके परिणामस्वरूप डेरा इस्माइल खान और पेशावर में पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी।

उनका कहना है कि संघर्षविराम समझौता यह निर्धारित करता है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित दोनों पक्ष आत्मरक्षा में कार्य करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि हाल ही में एक पोस्ट में आतंकवादी समूह ने ‘दूसरे पक्ष’ पर शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।

यह स्पष्ट नहीं है कि हमले कौन कर रहा है और जबरन वसूली के बढ़ते मामलों के पीछे कौन सा समूह है। टीटीपी ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया है और पीड़ितों से ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए कहा है।

भाषा अमित मनीषा

मनीषा


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