राजधानी की घेराबंदी मामले में जांच आयोग ने आईएसआई के पूर्व प्रमुख को क्लीन चिट दी

राजधानी की घेराबंदी मामले में जांच आयोग ने आईएसआई के पूर्व प्रमुख को क्लीन चिट दी

  •  
  • Publish Date - April 16, 2024 / 08:16 PM IST,
    Updated On - April 16, 2024 / 08:16 PM IST

इस्लामाबाद, 16 अप्रैल (भाषा) पाकिस्तान में एक जांच आयोग ने एक कट्टरपंथी धार्मिक समूह के कार्यकर्ताओं द्वारा 2017 में राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी में धरने को लेकर ‘इंटर सर्विस इंटेलिजेंस’ (आईएसआई) के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) फैज हमीद को दोष मुक्त कर दिया है।

चरमपंथी समूह तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने 2017 में इस्लामाबाद की घेराबंदी की थी और फ्रांस में ईशनिंदा कार्टून के प्रकाशन के कारण फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन की मांग की थी।

बाद में मौजूदा प्रधान न्यायाधीश काजी फैज़ ईसा के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने 2019 में एक फैसले में प्रदर्शन की जांच करने और अपराधियों की पहचान करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत के एक फैसले के बाद जांच आयोग का गठन किया गया।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में खुफिया एजेंसियों और उनके शीर्ष अधिकारियों को क्लीन चिट देते हुए कहा कि प्रांतीय और संघीय सरकारों के तत्कालीन उच्च पदस्थ अधिकारियों में से किसी ने भी एजेंसियों या किसी अन्य अधिकारी पर टीएलपी प्रदर्शनकारियों की मदद करने का आरोप नहीं लगाया।

रिपोर्ट में कहा गया है, “पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व गृह मंत्री, पूर्व कानून मंत्री और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सहित किसी ने भी खुफिया एजेंसियों या एजेंसी के किसी अन्य अधिकारी पर प्रदर्शनकारियों की मदद करने का आरोप नहीं लगाया और न ही अन्य सबूत सामने लाए गए, इसलिए, आयोग धरने के आयोजन के लिए टीएलपी का समर्थन करने वाले किसी भी संगठन या राज्य के पदाधिकारी के बीच संबंध स्थापित नहीं कर सका।”

आयोग ने खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख हमीद को भी दोषमुक्त कर दिया, जो उस वक्त मेजर जनरल थे और आईएसआई में ‘काउंटर-इंटेलिजेंस’ के महानिदेशक (डीजी) के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने प्रदर्शन को खत्म करने के लिए टीएलपी प्रदर्शनकारियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग ने पाया कि सुरक्षा प्रतिष्ठान की ओर से हमीद ने दो पक्षों के बीच मध्यस्थ के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इसके लिए आईएसआई के (तत्कालीन) डीजी (नवीद मुख्तार) और सेना प्रमुख (कमर जावेद बाजवा) की अनुमति थी।

आयोग ने मुख्य रूप से पंजाब प्रांत के तत्कालीन मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार को कसूरवार ठहराया और कहा कि सरकार का रवैया ‘ टालमटोल करने वाला और कमजोर’ था और सरकार अगर शुरू में ही सख्ती से कार्रवाई करती तो हालात खराब नहीं होते। शरीफ अब देश के प्रधानमंत्री हैं।

इसने यह भी सुझाव दिया कि सेना और संबंधित एजेंसियों को असैन्य मामलों में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे संस्था की निष्पक्ष छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

भाषा नोमान अविनाश

अविनाश