कोरोना वायरस: नेपाल में उत्सव नहीं मनाए जाने के कारण श्रद्धालुओं को भगवान के रुष्ट होने का डर

कोरोना वायरस: नेपाल में उत्सव नहीं मनाए जाने के कारण श्रद्धालुओं को भगवान के रुष्ट होने का डर

कोरोना वायरस: नेपाल में उत्सव नहीं मनाए जाने के कारण श्रद्धालुओं को भगवान के रुष्ट होने का डर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: September 30, 2020 10:43 am IST

काठमांडू, 30 सितंबर (एपी) कोविड-19 वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने के लिए नेपाल में इस साल ‘इंद्रजात्रा’ उत्सव समेत कई पर्वों को सार्वजनिक तौर पर मनाए जाने की मनाही के चलते लोगों को इस बात का डर है कि पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान नहीं करने के कारण ईश्वर उनसे रुष्ट हो जाएंगे और उन्हें उनके प्रकोप का भागी बनना पड़ेगा।

‘इंद्रजात्रा’ उत्सव के दौरान जिस पुराने महल में हर साल हजारों लोग एकत्र होते थे, वह इस बार खाली है, मंदिरों को बंद कर दिया गया है और सार्वजनिक तौर पर उत्सव मनाने पर रोक लगा दी गई है।

नेपाल में पतझड़ के दौरान कई त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लोगों को अपने घर में रहकर ही ये पर्व मनाने पड़ेंगे।

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नेपाल में अनेक लोगों का मानना है कि उचित विधान से पूजा नहीं करने से भगवान उनसे नाराज हो जाएंगे और इससे तबाही आ जाएगी।

काठमांडू में एक रथयात्रा के दौरान सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने के कारण पुलिस और श्रद्धालुओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी।

‘इंद्रजात्रा’ पर्व के दौरान आठ दिन के लॉकडाउन का आदेश दिया गया था। इस पर्व को बड़े पैमाने पर मनाने की जगह सरकारी सुरक्षा के बीच वर्षा के देवता इंद्र से माफी मांगने के लिए एक छोटा समारोह आयोजित किया गया था।

इस उत्सव के दौरान कुमारी देवी (जीवित देवी चुनी जानी वाली कन्या) को रथ में बैठाकर काठमांडू के बीचोंबीच लाया जाता है, लेकिन इस बार रथयात्रा रद्द होने के बाद कुमारी देवी अपने मंदिर भवन से बाहर नहीं निकलीं। उनके रथ को ताला लगा दिया गया है और पुलिस को सुरक्षा में तैनात किया गया है।

कुमारी देवी के रूप में एक बच्ची का चयन किया जाता है और मासिक धर्म शुरू होने तक उनकी पूजा की जाती है। बड़े अधिकारी और आम लोग उनका आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छूते हैं।

कुमारी देवी से संबंधित प्रमुख संरक्षक गौतम शाक्य ने कहा, ‘‘उत्सव के दौरान हजारों, लाखों लोग आते और कई लोगों के संक्रमित होने का खतरा होता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें सदियों पुरानी इस परंपरा को पहली बार रोकना पड़ा।’’

देवी की पूजा करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर कुमारी देवी के पास पहुंचने में सफल रहने वाले श्रद्धालुओं के एक समूह ने कहा कि उन्हें अपने पूर्वजों की परंपरा को जारी रखना है।

इनमें से एक श्रद्धालु शंकर मागैया ने कहा, ‘‘यह उत्सव एवं कुमारी कोई प्रथा नहीं है। यह हमारी संस्कृति है और हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा है। हम इसे किसी चीज के कारण नहीं रोक सकते, महामारी के कारण भी नहीं।’’

उसने कहा, ‘‘हमने ईश्वर को निराश किया है और हमें भगवान को खुश रखने की आवश्यकता है, ताकि हम सभी खुश और समृद्ध रह सकें।’’

नेपाल में कोरोना वायरस से 76,000 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 461 लोगों की मौत हो चुकी है।

भाषा सिम्मी नेत्रपाल

नेत्रपाल


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