क्या वीगन आहार बच्चों को कम कद वाला और कमजोर बनाते हैं?

क्या वीगन आहार बच्चों को कम कद वाला और कमजोर बनाते हैं?

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  • Publish Date - June 12, 2021 / 11:56 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:23 PM IST

इवांगेलिन मंटज़ियोरिस, कार्यक्रम निदेशक, पोषण एवं खाद्य विज्ञान, साउथ ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय और क्लेर कोलिन्स, लॉरीअट प्रोफेसर पोषण एवं आहार, न्यूकैसल विश्वविद्यालय

एडीलेट/कालेहैन (ऑस्ट्रेलिया), 12 जून (द कन्वरसेशन ) मांस और मछली या डेयरी और अंडे सहित सभी पशु उत्पादों विहीन आहार ‘वीगन’ की लोकप्रियता लगातार स्वास्थ्य, पर्यावरण और जातीय कारणों से बढ़ रही है।

पूर्व में व्यस्कों पर किए अनुसंधान में पता चला था दिल की बीमारियों का कम खतरा होने का संबंध शाकाहारी और वीगन आहार से है लेकिन कम कैल्शियम लेने की वजह से हड्डियों के फ्रैक्चर होने का खतरा अधिक है। हालांकि, बच्चों में इसके असर का आकलन इस सप्ताह प्रकाशित अनुसंधान पत्र से पहले तक नहीं किया गया था।

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि मांस खाने वाले बच्चों के मुकाबले वीगन बच्चों में कम लंबाई और हड्डियों में खनिजों पदार्थ की कमी का संबंध है लेकिन इसमें यह बात सामने नहीं आयी कि वीगन आहार से अंतर आता है। न ही उन्होंने कहा कि यह अंतर व्यस्क होने तक रहेगा।

अध्ययन कैसे किया गया?

अमेरिकी जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित अनुसंधान पत्र के मुताबिक पोलैंड के पांच से 10 साल के बच्चों में अंतर का अध्ययन किया गया।

उन्होंने वर्ष 2014 से 2016 के बीच 187 बच्चों पर अध्ययन किया जिन्होंने करीब एक साल तक अपना-अपना आहार लिया। इनमें से 72 बच्चे मांसाहारी थे जबकि 63 शाकाहारी और 52 वीगन थे।

अनुसंधान दल ने बच्चों द्वारा लिए जा रहे पोषाहार, शरीर की बनावट और हृदय रोग के खतरों का अध्ययन किया। इस दौरान देखा गया कि भविष्य में इन बच्चों में हृदय की बीमारी और स्ट्रोक की कितनी आशंका है।

यह अध्ययन अवलोकन आधारित था इसलिए अनुसंधानकर्ताओं ने बच्चों के आहार में कोई बदलाव नहीं किया। उन्होंने उन बच्चों को अनुसंधान में शामिल किया जो पहले से ही ये आहार ले रहे थे।

खासतौर पर यह अवलोकन अध्ययन था जिसमें तुलनात्मक अध्ययन किया गया। उन्होंने एक निश्चित समय में इन बच्चों के आहार, विकास और हृदय संबंधी खतरों का आकलन किया।

अनुसंधान टीम ने सुनिश्चित किया कि विकास, हृदय रोग खतरे आदि के संबंध में वीगन और शाकाहारी समूह में शामिल बच्चे मांसाहार करने वाले बच्चों के समूह के बराबर ही हो। इसमें लिंग, उम्र, माता-पिता में धूम्रपान की लत, माता-पिता की शिक्षा, गर्भधारण के दौरान मां की चिकित्सकीय स्थिति और सबसे महत्वपूर्ण उनके माता-पिता के कद का ख्याल रखा गया।

अनुसंधानकर्ताओं को क्या मिला?

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि मांसाहार करने वाले बच्चों के मुकाबले शाकाहार और वीगन बच्चों में हृदय रोग का खतरा कम था क्योंकि उनमें निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल या स्वस्थ्य के लिए हानिकारक कोलेस्ट्रोल) का स्तर 25 प्रतिशत तक कम मिला।

हालांकि, वीगन बच्चों में पोषक तत्वों की कमी की खतरा अधिक देखने को मिला। उनके शरीर में विटामिन बी12, कैल्सियम, विटामिन डी और आयरन की कमी होने का खतरा अधिक था।

वीगन आहार पर रहने वाले बच्चों की हड्डियों में खनिज पदार्थों की मात्रा पांच प्रतिशत तक कम रही और उनका कद औसतन तीन सेंटीमीटर कम था। यह अहम है क्योंकि हड्डियों में खनिज पदार्थ का उच्च स्तर होने पर हड्डियों में खनिज पदार्थों का घनत्व भी अधिक होता है।

पांच प्रतिशत का अंतर चिंतित करने वाला है क्योंकि इस उम्र के लोगों के पास हड्डियों में खनिज पदार्थ के घनत्व को सामान्य करने के लिए बहुत कम समय होता है। व्यक्ति 20 साल की उम्र तक हड्डियों का 95 प्रतिशत वजन प्राप्त कर लेता है। हड्डियों का कम घनत्व का संबंध बाद में अधिक फैक्चर दर से है।

शाकाहारी बच्चों में पोषक तत्वों की कम कमी देखने को मिली लेकिन अप्रत्याशित रूप से मांसाहारी और वीगन बच्चों के मुकाबले हृदय रोग से बचने की संभावना कम अनुकूल रही। अनुसंधान पत्र लेखकों का कहना है कि इसकी वजह इन बच्चों द्वारा कम गुणवत्ता युक्त आहार लेना और अधिक प्रसंस्करित खाना खाना है।

अनुसंधान में क्या कोई समस्या है?

अवलोकन अध्ययन हमे केवल तब कुछ बताते हैं अगर कुछ जुड़ा हो। यह अध्ययन केवल हमें यह बताता है कि इन आहरों और उसके नतीजों में संबंध है जिसका वे अध्ययन कर रहे थे।

लेकिन इस अध्ययन में स्वीकार्य जैविक संबंध हड्डी विकास और बच्चों के बढ़ने के बीच है। कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन हड्डियों के विकास और बढ़ने के लिए अहम हैं। ये पोषक तत्व वीगन आहार में कम होते हैं क्योंकि ये मुख्य रूप से पशु उत्पादों से आते हैं।

-कैल्सियम डेयरी उत्पादों से आता है।

– विटामिन डी सामान्यत: हमारी त्वचा और सूर्य की किरणों के बीच संपर्क बनने से मिलता है और थोड़ी मात्रा में यह पशु उत्पादों से भी मिलता है।

– माना जाता है कि पौधों से प्राप्त प्रोटीन का जैविक मूल्य पशु स्रोतों से कम होता है।

प्रोटीन का एकमात्र पौधा स्रोत आपको आवश्यक सभीएमिनी एसिड (प्रोटीन जिसका निर्माण आपका शरीर स्वयं नहीं कर सकता) नहीं उपलब्ध करा सकता जिसकी जरूरत होती है। वीगन को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे विभिन्न तरह के पौधों या उनके उत्पाद को खाए ताकि उन्हें सभी आवश्यक एमिनो एसिड मिल सके।

तो, अनुसंधानकर्ताओं ने क्यों नही हस्तक्षेप अध्ययन किया और बच्चों के आहार में बदलाव किया?

पहला, ऐसे बच्चों और उनके परिवार की तलाश करना बहुत मुश्किल है जो लंबे समय से अपने आहार को बदलने को तैयार हो।

दूसरा, यह अनैतिक होगा कि बच्चों को ऐसे आहार पर रखा जाए जिससे उनका विकास और हृदय रोग संबंधी खतरा प्रभावित होने की आशंका हो।

यह अध्ययन पोलैंड में केवल वीगन और शाकाहारी बच्चों के विकास और हृदय रोग संबंधी असर पर डालने के लिए किया गया था।

पांच से 10 साल के बच्चों पर किया गया छोटा अध्ययन वैज्ञानिक समुदाय द्वारा यह कहने के लिए काफी नहीं है कि ये नतीजे वैध है और हमें उनपर कदम उठाना चाहिए। लेकिन ये संभावित समस्या का सुराग देते हैं जिसपर हम गौर कर सकते हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने संकेत दिया है कि अन्य देशों में भी और अवलोकन अध्ययन करने की जरूरत है।

तो वीगन और शाकाहारी आहार लेने वाले बच्चों के लिए इसके मायने क्या हैं?

इसका मतलब यह नहीं है कि प्रत्येक बच्चा जो ये आहार लेता हैं उसे इसके पौषणिक और स्वास्थ्य फायदे मिलेंगे या समस्या होगी। हम यह भी नहीं कह सकते कि ये समस्याएं व्यस्क होने तक रहेंगी।

लेकिन यह संभावित खतरे को रेखांकित करता है जिसके प्रति डॉक्टरों और माता-पिता को जागरूक होने की जरूरत है। यह हमें याद दिलता है कि या तो परिवार के आहार दर्शन के अनुकूल उचित बदलाव किया जाए या पूरक पोषक तत्व दिए जाएं अगर खून जांच के जरिये उनकी कमी पाई जाती है।

खातसौर पर माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने वालों को इस बात को सतर्क रहने की जरूरत है कि बच्चों को उचित मात्रा में प्रोटीन विभिन्न वीगन स्रोतों (बींस, दाल और नट्स) और कैल्शियम (कैल्शियम पूर पौधे से मिलने वाले दूध) मिले।

चाहे आप वीगन, शाकाहारी या मांसाहार का अनुपालन करते हो, आपको इसके बावजूद यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी खाद्य समूहों में संतुलित आहार मिले।

यह अध्ययन आपको यह भी याद दिलाता है कि आप परिवार में प्रस्संकरित खाने को न्यूनतम करें जिनमें अधिक नमक, चीन और संतृप्त वसा होता है जिससे हृदय संबंधी बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा होता है।

अगर आप अपने बच्चों के आहार को लेकर चिंतित हैं तो अपने जीपी या मान्यता प्राप्त आहार विशेषज्ञ से बात करें, जो उनके विकास एवं आहार का आकलन कर सकते हैं।

– इवांगेलिन मंटज़ियोरिस

अज्ञात लोगों की समीक्षा

समीक्षकों ने अनुसंधान पत्र का सटीक आकलन किया है।

अध्ययन ने आहार योजना को रेखांकित किया है ताकि उन बच्चों को उचित खाना और पोषक तत्व दिए जा सके जो सामान्यत: वीगन या शाकाहार हैं और इसके साथ ही यह पोषण युक्त खाने/या विटामिन बी12 और विटामिन डी जैसे पूरक आहार और संभवत: कैल्सियम और आयरन के नियमित इस्तेमाल को भी रेखांकित करता है, खासतौर पर वीगन्स में।

हालांकि, अध्ययन के नतीजें ‘बेहरतीन परिदृश्य’ को इंगित करते हो क्योंकि अध्ययन में शामिल अधिकतर परिवार उच्च शिक्षा प्राप्त थे और इसलिए संभव है कि उन्होंने परिवार का भोजन की अधिक योजना बनाई होगी।यह संभव है कि अन्य परिवार कम स्वस्थ्य आहार लेते हैं और इसलिए उनमें अधिक पोषक तत्वों की कमी हो।

समीक्षकों द्वारा हड्डियों में खनिज की मात्रा और कद के साथ ही आयरन और कैलोस्ट्रोल को रेखांकित करने वाले नतीजों को मिलाकर देखें तो यह अध्ययन बच्चों में वीगन और शाकाहार आहार से जुड़े संभावित खतरे और लाभ की पुष्टि करते हैं।

जो परिवार पौधा आधारित आहार का अनुपालन करते हैं उनके लिए अहम संदेश है कि उन्हें अपने व बच्चों स्वास्थ्य एवं बेहतरी से जुड़े आहार में खाने और पोषक तत्वों की उचित मात्रा तय करने के लिए अधिक सलाह और समर्थन की जरूरत है।

– क्लेयर कोलिन्स

द कन्वरसेशन

धीरज माधव

माधव