फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों नये प्रधानमंत्री की करने वाले हैं घोषणा
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों नये प्रधानमंत्री की करने वाले हैं घोषणा
पेरिस, 10 अक्टूबर (एपी) फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों एक हफ्ते की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद शुक्रवार को नये प्रधानमंत्री की नियुक्ति कर सकते हैं। इसे आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे देश में एक साल से अधिक समय से जारी सियासी गतिरोध को हल करने की उनकी एक और कोशिश माना जा रहा है।
नये प्रधानमंत्री की नियुक्ति को मैक्रों के लिए अपने दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में जान फूंकने के आखिरी मौके के तौर पर भी देखा जा रहा है, जो 2027 में समाप्त होने वाला है। मैक्रों के पास अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नेशनल असेंबली (फ्रांसीसी संसद का निचला सदन) में बहुमत नहीं है। इसके अलावा, उन्हें न सिर्फ विपक्ष की, बल्कि अपने ही खेमे के सदस्यों की भी तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
निवर्तमान प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नु ने सोमवार को नये मंत्रिमंडल की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद अचानक इस्तीफा दे दिया। इस घटनाक्रम के चलते मैक्रों पर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने या नेशनल असेंबली को भंग करने का दबाव फिर से तेज होने लगा। हालांकि, उन्होंने ऐसा कोई भी कदम उठाने से एक बार फिर इनकार करते हुए बुधवार को घोषणा की कि वह अगले 48 घंटे में लेकोर्नु के उत्तराधिकारी की घोषणा कर देंगे।
पिछले साल मैक्रों के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार को लगातार अस्तित्व के संकट से जूझना पड़ा है, जिससे यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फ्रांस राजनीतिक गतिरोध में उलझकर रह गई है और उस पर ऋण संकट गहराता जा रहा है।
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के अंत में फ्रांस का सार्वजनिक ऋण 33.46 खरब यूरो (लगभग 39 खरब अमेरिकी डॉलर) था, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 114 फीसदी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, फ्रांस में गरीबी दर भी 2023 में 15.4 फीसदी तक पहुंच गई, जो 1996 में दस्तावेजीकरण शुरू होने के बाद से सर्वाधिक है।
मैक्रों नये प्रधानमंत्री के रूप में किसी वामपंथी नेता को चुन सकते हैं, जिन्होंने 2024 के चुनावों में गठबंधन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी या फिर वह राजनीतिक गतिरोध से बचने के लिए किसी सर्वस्वीकार्य चेहरे पर मुहर लगा सकते हैं।
बहरहाल, नये प्रधानमंत्री को तुरंत अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से बचने के लिए कुछ समझौते करने पड़ेंगे और यहां तक कि उन्हें पेंशन सुधार की योजना टालने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है, जिसके तहत सेवानिवृत्ति की आयु को धीरे-धीरे 62 से बढ़ाकर 64 साल किए जाने का प्रावधान है। मैक्रों ने भारी विरोध के बावजूद 2023 में इस प्रस्ताव को कानून का रूप देने पर मुहर लगाई थी।
लेकोर्नु ने कहा कि मैक्रों का मध्यमार्गी गुट, उसके सहयोगी और कुछ विपक्षी दल अभी भी एकजुट होकर बहुमत की सरकार बना सकते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अभी भी संभावना है। हालांकि, यह थोड़ा मुश्किल है।”
फ्रांस में राजनीतिक गतिरोध जून 2024 में शुरू हुआ था, जब मैक्रों ने सभी को चौंकाते हुए नेशनल असेंबली को भंग करने की घोषणा की थी। इसके बाद आनन-फानन में हुए चुनावों में कोई भी पार्टी 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में बहुमत नहीं हासिल कर सकी थी।
एपी पारुल सुभाष
सुभाष

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