गिनी-चुनी महिलाओं को मिलता है आविष्कार करने का मौका | Guinea-picked women get a chance to invent

गिनी-चुनी महिलाओं को मिलता है आविष्कार करने का मौका

गिनी-चुनी महिलाओं को मिलता है आविष्कार करने का मौका

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : June 20, 2021/1:01 pm IST

(रेम कोनिंग, असिस्टेंट प्रोफेसर, बिजनेस एडमिस्ट्रेशन, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल)

बोस्टन (अमेरिका), 20 जून (द कन्वरसेशन) मैकआर्थर जिनियस और एमआईटी की प्रोफेसर लिंडा ग्रिफ्थ ने वैज्ञानिक और अविष्कारक के तौर पर शानदार करियर बनाया है जिनमें चूहों पर मानव कान उगाने की उपलब्धि शामिल है।

वह अब अपना दिन गर्भकला-अस्थानता (एन्डोमेट्रीओसिस) को रेखांकित करते हुए जैविक प्रक्रिया को समझने में लगा रही हैं। गर्भकला-अस्थानता वह अवस्था है जिसमें गर्भाशय की तरह ऊत्तक गर्भाशय के बाहर विकसित हो जाते हैं। यह स्थिति बहुत दर्दनाक होती है और नियमित रूप से इसकी गलत जांच होती है और डॉक्टर समझ नहीं पाते हैं। इसने अमेरिका की 60 लाख महिलाओं के साथ-साथ ग्रिफ्थ के जीवन को भी प्रभावित किया।

ग्रिफ्थ के अनुसंधान और अविष्कार में महिलाओं के स्वास्थ्य को नाटकीय तौर पर सुधारने की क्षमता है। समस्या यह है कि वह एक दूसरी वजह से बाहर रह गई और यह है कि वह महिला हैं। वर्ष 2020 में अमेरिका में पेटेंट प्राप्त करने वाले अविष्कारकों में केवल 12.8 प्रतिशत महिलाएं है और ऐतिहासिक रूप से पुरुष अनुसंधानकर्ताओं ने गर्भकला-अस्थानता जैसी स्थिति को नजर अंदाज किया।

पुरुष अनुसंधानकर्ताओं की परिपाटी महिलाओं की चिकित्सा जरूरतों को कमतर देखनें की या कई बार नजर अंदाज तक करने की रही। इसका नतीजा यह हुआ कि अविष्कार विशेष तौर पर इस पर निर्भर रहा कि पुरुष अनुसंधान के लिए क्या चुनते हैं। मेरे सहयोगी जॉन पॉल फर्ग्यूसन, सम्प्सा समिला और मैंने हाल में प्रकाशित अध्ययन में दिखाया है कि अमेरिका में महिलाओं द्वारा पेटेंट जैव चिकित्सा अविष्कारों से महिलाओं के स्वास्थ्य पर लाभ होने की संभावना पुरुष अविष्कारक के जैव चिकित्सा अविष्कार से 35 प्रतिशत अधिक है।

संख्याओं द्वारा पूर्वाग्रह

यह जानने के लिए कौन से अविष्कार महिला केंद्रित, पुरुष केंद्रित या निष्पक्ष हैं, हमने नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन मेडिकल टेक्स इंडेक्सर का इस्तेमाल कर 4,41,505 चिकित्सा पेटेंट के शीर्षक, सार और सारांश पाठ की शुरुआत का विश्लेषण किया। इंडेक्सर लिखित दस्तावेजों के पुरुष व महिला केंद्रित सहित विभिन्न आधारों पर विषय की श्रेणी तय करने के लिए कंप्यूटर आधारित प्रणाली का इस्तेमाल करता है।

हमारे आंकड़ों से खुलासा हुआ कि टीम द्वारा किए गए अपविष्कार जिसमें प्राथमिक रूप से या पूरी तरह से पुरुष हों बहुत अधित संभावना है कि वे पुरुषों की चिकिस्ता जरूरत पर ध्यान केंद्रित करें। वर्ष 1976 से 2010 के 35 सालों में 34 साल ऐसे थे जिसमें पुरुष बहुमत वाली टीम ने सैकड़ों अविष्कार महिलाओं की जरूरत के बजाय पुरुषों की जरूरत को ध्यान में रखकर किए। इन पुरुष आविष्कारकों के अधिक संभावना थी कि वे ऐसे पेटेंट प्राप्त करें जो ‘‘इरेक्टाइल’’ या ‘प्रोस्टेट’ जैसे समस्याओं पर केंद्रित हो बजाय ‘रजोनिवृत्ति’ या ‘गर्भाशय ग्रीवा’पर । पुरुष आविष्कारों में पार्किंसन और अनिद्रा जैसी बीमारियों को ध्यान में रखकर अनुसंधान करने की परिपाटी देखी गई जो पुरुषों को अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित करती हैं।

इसके विपरीत हमने अपने 35 साल के सभी आंकड़ों में पाया कि प्राथमिक रूप से या पूर्ण रूप से महिला सदस्यों वाली आविष्कार टीम द्वारा पेटेंट कराए गए अनुसंधान की अधिक संभावना है कि वह महिलाओं की जरूरत पर केंद्रित हो। बहुत संभव है कि इनके पेटेंट स्तन कैंसर और पोस्टपार्टम प्रीक्लेप्सिया व उन बीमारियों से जुडे़ हो जो महिलाओं को अधिक प्रभावित करती हैं जैसे फाइब्रोमाल्गिया और ल्यूपस। हालांकि, वर्ष 1976 में केवल 6.3 प्रतिशत पेटेंट महिलाओं की बहुमत वाली टीम को मिली। वर्ष 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 16.2 प्रतिशत हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि महिलाओं द्वारा किए आविष्कार महिलाओं पर अधिक केंद्रित होने की संभावना बढ़ीन लेकिन ऐसे पेटेंट असमान है क्योंकि बहुत कम आविष्कारक महिलाएं हैं।

हमने पाया कि वर्ष 1976 से 2010 के बीच सभी लिंगों वाली टीम के जैव चिकित्सा आविष्कार महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की जरूरत पर अधिक केंद्रित थे। हमारी गणना संकेत देती हैं कि अगर इस अवधि में पुरुष और महिला आविष्कारकों का समान प्रतिनिधित्व होता तो महिलाओं को केंद्रित 6500 और आविष्कार होते। प्रतिशत में देखें तो इससे 12 प्रतिशत और महिला केंद्रित आविष्कार होते।

महिलाओं की जरूरत को देख रहे हैं

अधिक महिला आविष्कार होने के और भी फायदे हैं। बहुत संभव है कि महिला आविष्कारक यह पता करती कि गैर लैंगिक आधारित बीमारियां जैसे हृदयघात, मधुमेह और स्ट्रोक के इलाज में सुधार कैसे किया जा सकता है और महिलाओं की जरूरत के हिसाब से अंगीकार कैसे किया जा सकता है। इसके साथ ही इसकी अधिक संभावना है कि महिला आविष्कारक यह जांच करती कि उसके विचार या आविष्कार क्या महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई दवा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर अधिक दुष्प्रभाव डाले।

हमने अपने अध्ययन में पाया कि यहां तक अट्रियल फ्लटर जैसी बीमारियों में अधिक संभावना है कि महिलाएं अपने आविष्कार को महिलाओं की विशेष चिकित्सा जरूरत को पूरा करने के अवसर के रूप में देखें। हमारे अध्ययन के नतीजे दिखाते हैं कि इस अदृश्य पक्षपात को प्रतिनिधित्व बढ़ा कर दूर किया जा सकता है।

महिला आविष्कारकों की बढ़ती संख्या ने इस अंतर को पाटना शुरू कर दिया है। वर्ष 2006 से 2010 के पांच साल में तीन साल ऐसे रहे जब अमेरिका ने पुरुष केंद्रित आविष्कारों से अधिक महिला केंद्रित आविष्कार को पेटेंट दिए। यहां तक कि वर्ष 2010 से ही महिला स्थापित स्टार्टअप में तेजी आई है जो महिलाओं के लिए माहवारी विशेष अंगवस्त्र से लेकर स्मार्ट ब्रेस्ट पंप जैसे स्वास्थ्य उत्पाद बना रही है।

अंतर पर ध्यान दें

महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए महिला आविष्कारों का अनुपात बढ़ाना महत्वपूर्ण है लेकिन महिला वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है। यह भी तथ्य है कि महिला वैज्ञानिकों के अपने अनुसंधान का व्यावसायिक उपयोग करने की संभावना पुरुष वैज्ञानिकों के मुकाबले 40 प्रतिशत कम होती है। इस लैंगिक अंतर के कई कारण हैं जिनमें परामर्श को लेकर अंतर से लेकर महिला केंद्रित विचार के व्यावसायिक इस्तेमाल करने के प्रयास के दौरान शुरुआती चरण में मिली प्रतिक्रिया में पूर्वाग्रह तक शामिल है।

कारणों को रेखांकित करने से फर्क नहीं पड़ता, नतीजा यह है कि वर्ष 2010 में प्रकाशित करीब 33 प्रतिशत वैज्ञानिक खोज महिलाओं की बहुमत वाली अनुसंधान टीमों ने किया जबकि इसी साल केवल 16.2 प्रतिशत पेटेंट महिला बहुमत वाली आविष्कार टीमों के आविष्कार को मिला। अविष्कार की तरह ही हमने पाया कि महिला वैज्ञानिकों की वैज्ञानिक खोज से पुरुष वैज्ञानिकों की खोज के मुकाबले महिलाओं को 12 प्रतिशत अधिक लाभ होने की संभावना है। वैज्ञानिक खोजों का आकलन प्रकाशित अनुंसधान पत्रों से किया गया। कम से कम अल्पकाल के लिए महिला वैज्ञानिकों की उनके मौजूदा अनुसंधान और उसके व्यावसायीकरण में मदद से महिला आविष्कारों और महिला केंद्रित अविष्कारों की संख्या में वृद्धि की जा सकती है।

आसान भाषा में कहें तो, हमारा अध्ययन रेखांकित करता है कि कौन आविष्कार करे में जनसांख्यिकी असमानता से अविष्कार से किसे लाभ हो इस मुद्दे पर जनसांख्यिकी अंतर पैदा होता है। हालिया अध्ययन दिखाता है कि अश्वेत चिकित्सकों की संख्या बढ़ने से अश्वेत मरीजों को लाभ होता है। और सामान्य भाषा में कहें तो अल्पसंख्यक डॉक्टरों के अनुपात में अल्पसंख्यक मरीजों को लाभ होता है। यह दिखाता है कि दुनिया को केवल एमआईटी में कार्यरत ग्रिफ्थ की तरह और अविष्कारक ही नहीं चाहिए बल्कि डॉ.पैट्रिशिया बाथ जैसी और अविष्कारक चाहिए, जो अमेरिका में मेडिकल पेटेंट हासिल करने वाली पहली अश्वेत महिला थीं।

बाथ ने मोतियाबिंद का लेजर से इलाज विकसित किया जिसकी प्रेरणा उन्हें श्वेत अमेरिकियों के मुकाबले अश्वेतों में अंधेपन की दोगुनी दर से मिली थी।

चाहे लिंग हो या नस्ल, किसे अनुसंधान करने और अविष्कार का व्यावसायीकरण करने को मिलेगा, में पक्षपात उसके इस्तेमाल करने को लेकर पक्षपात से अधिक मायने रखता है। यह विकास से किसे फायदा होगा, उसका भी निर्धारण करता है।

द कन्वरसेशन धीरज नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)