(डेविड बीरमैन, प्रौद्योगिकी सिडनी विश्वविद्यालय)
सिडनी, 29 अप्रैल (360इंफो), कोविड-19 महामारी के बाद हवाई किराये में हुई बढ़ोतरी में कमी हो रही है पर विदेश में विमान के सस्ते टिकटों के पुराने दौर की वापसी के दिन लद सकते हैं।
कई लोग चकित हो सकते हैं कि वर्ष 2022 के बाद से ऑस्ट्रेलिया से रवाना होने और फिर वापस आने के हवाई किराए में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2023 में सवाल उठे कि विमानन कंपनियां (एयरलाइंस) इतनी ‘लालची’ क्यों हो गई हैं? सालभर मुनाफा दर्ज करने के बावजूद वे हवाई किराए के लिए बड़ी रकम क्यों वसूल रही हैं?
लेकिन वर्ष 2022 के मध्य से अधिकांश एयरलाइन की सफलता को निरपेक्ष रूप से (शून्य में) नहीं देखा जा सकता है। वर्ष 2020 की शुरुआत से लेकर कोविड-19 महामारी के चरम पर रहने तक अधिकांश एयरलाइन ने व्यावहारिक रूप से अपना कारोबार बंद कर दिया। मरणासन्न अवस्था में संचालन के दौरान सभी एयरलाइन को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ और इस दौरान वे या तो सरकारी सहायता पर या बैंक से मिले कर्ज पर निर्भर रहीं।
आंशिक रूप से किरायों में वृद्धि का कारण कर्ज चुकाने की जरूरत को ठहराया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि एयरलाइंस ने ‘उच्च खपत, कम उपज’ के व्यवसायिक मॉडल पर दो दशकों से अधिक समय तक काम करने के बाद एक कठोर सबक सीखा।
किसी एयरलाइन को लाभदायक बनाने के लिए उसका संचालन और यात्रियों की बड़ी संख्या होना आवश्यक है, मुख्य रूप से अपेक्षाकृत कम भुगतान पर। व्यावहारिक रूप से इसका मतलब यह है कि यदि कोई यात्री सिडनी और लंदन के बीच वापसी यात्रा के लिए 2,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का भुगतान करता है, तो एयरलाइन को प्रति यात्री 10 अमेरिकी डॉलर कमाने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
यह उन ग्राहकों के लिए अच्छा रहा जिन्होंने 20 वर्षों तक सस्ते हवाई किराए का लुत्फ उठाया, लेकिन इससे एयरलाइन को कम मुनाफा हुआ और उसके पास दो वर्षों तक चले महामारी-जनित संकट से निपटने के लिए कोई आरक्षित नकदी नहीं थी।
कोविड-19 महामारी के बाद विमानन कंपनियों ने इस मॉडल से दूरी बना ली और हवाई किराये को वाणिज्यिक रूप से वास्तविक स्तर तक बढ़ा दिया खासकर 2023 में।
इसके अलावा एयरलाइन को संचालित करने की लागत में भी बढ़ोतरी हुई है। पुराने और अनुभवी कर्मचारियों को महामारी के दौरान नौकरी से बाहर करने के बाद एयरलाइन को नये कर्मचारियों की भर्ती करके उन्हें प्रशिक्षण देना पड़ा, लेकिन इन नये कर्मचारियों को कोविड-19 से पहले की तुलना में अधिक वेतन देना पड़ा।
इसके बावजूद वर्ष 2024 में हवाई किराए में नरमी आई क्योंकि प्रतिस्पर्धा के कारण दबाव बढ़ गया। फिर भी नई चुनौतियां बरकरार हैं।
पश्चिम एशिया में संघर्षों से तेल की कीमतों में वृद्धि की संभावना है, खासकर इन संघर्ष के बढ़ने और भौगोलिक रूप से विस्तारित होने की स्थिति में। ईंधन पर आने वाला खर्च किसी एयरलाइन की संचालन लागत का कम से कम आधा हिस्सा होता है, इसलिए इसका किराया तेल की कीमतों के अनुसार बढ़ता है।
कुछ यात्रा संबंधी लेखकों के सपनों के बावजूद, हवाई किराये के वर्ष 2019 के स्तर पर वापस आने की संभावना बहुत कम है।
(360इंफो) संतोष मनीषा
मनीषा