एकल विषय-वस्तु आधारित वार्ता और महासभा के नियमों से ही आईजीएन को बचाया जा सकता : भारत | IGN can be saved only through single content based dialogue and general assembly rules: India

एकल विषय-वस्तु आधारित वार्ता और महासभा के नियमों से ही आईजीएन को बचाया जा सकता : भारत

एकल विषय-वस्तु आधारित वार्ता और महासभा के नियमों से ही आईजीएन को बचाया जा सकता : भारत

एकल विषय-वस्तु आधारित वार्ता और महासभा के नियमों से ही आईजीएन को बचाया जा सकता : भारत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:51 pm IST
Published Date: January 26, 2021 7:06 am IST

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 26 जनवरी (भाषा) भारत की सदस्यता वाले जी-4 समूह ने जोर देकर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के लिए अंतर-सरकार वार्ता (आईजीएन) के मौजूदा स्वरूप को तभी बचाया जा सकता है जब वार्ता की ‘विषय-वस्तु एक’ हो और प्रक्रिया में संयुक्त राष्ट्र महासभा के नियमों का अनुपालन किया जाए नहीं तो यह वह मंच नहीं रह जाएगा जहां पर काफी समय से लंबित बदलाव ‘वास्तव में मूर्त’ रूप ले सकेंगे।

बता दें कि जी-4 समूह में अन्य देश ब्राजील, जापान और जर्मनी हैं। वहीं ‘सिंगल टेक्स्ट या एक ही विषय- वस्तु पर आधारित वार्ता ’ का अभिप्राय एक ही दस्तावेज के आधार पर चर्चा से है जिससे हितधारकों के अन्य विस्तृत हित जुड़े होते हैं।

महासभा के 75वें सत्र में सुरक्षा परिषद में सुधार पर बनी आईजीएन की पहली बैठक सोमवार को हुई।

बैठक के दौरान जी-4 के सदस्य देशों ने कहा कि केवल दो चीजे आईजीएन प्रारूप को बचा सकती हैं- पहली एक विषय-वस्तु पर आधारित वार्ता जिसमें सदस्य देशों द्वारा पिछले 12 साल में अपनाए गए रूख प्रतिबिंबित हों और दूसरी संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रक्रिया नियमावाली।

संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के स्थायी प्रतिनिधि क्रिस्टोफ ह्यूसजेन ने जी-4 सदस्य देशों की ओर से कहा, ‘‘अगर इन मानदंडों को इस साल प्राप्त नहीं किया जाता तो हमारे लिए आईजीएन अपना उद्देश्य खो देगा।’’

समूह ने रेखांकित किया अगर इस साल आईजीएन की चौथी बैठक से पहले एक दस्तावेज पर चर्चा नहीं होती और महासभा की प्रक्रिया नियमावली लागू नहीं होती तो ‘औपचारिक प्रक्रिया के तहत बहस दोबारा महासभा में स्थानांतरित हो जाएगी’’ जो कि संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्यों चाहते भी हैं।

ह्यूसजेन ने कहा,‘‘ हमारा पूरी तरह से मानना है कि बहस में ‘नई जान फूंकने’ के लिए हमे सही वार्ता शुरू करनी होगी और वार्ता सिंगल टेक्स्ट एवं महासभा की प्रकिया नियमावाली पर आधारित होनी चाहिए। जी-4 के तौर पर हम आपके साथ खुलकर, पारदर्शी तरीके से और परिणाम केंद्रित तरीके से काम करने को तैयार हैं।’’

उन्होंने कहा कि सिंगल टेक्स्ट आईजीएन की सह अध्यक्ष राजदूतों पोलैंड की जोआन्ना व्रोनेका और कतर की आल्या अहमद सैफ अल थानी द्वारा सदस्य देशों के साथ तीसरी बैठक के तुरंत बाद और चौथी बैठक से पहले साझा किया जाना चाहिए।

ह्यूसजेन ने कहा कि सभी पांचों समूहों को आईजीएन की पहली बैठक के दौरान चर्चा करनी चाहिए और वार्ता संबंधित दस्तावेज हर चरण के बाद अद्यतन किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इस एकल दस्तावेज में इस मुद्दे पर गत 12 साल में विभिन्न पक्षों के रुख शामिल होंगे। हम ऐसे दस्तावेज की मांग नहीं कर रहे हैं जिसमें केवल जी-4 समूह का रुख प्रतिबिंबित हो।’’

महासभा की प्रक्रिया नियमावली के अनुपालन के महत्व की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि सभी से वीटो वापस लेने और बदलाव का अधिकार बहुमत को देने से ही प्रगति हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि भारत इसी महीने दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना है। वह कई वर्षों से 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में सुधार की कोशिश कर रहा है। भारत का साफ तौर पर कहना है कि वह स्थायी सदस्यता की अर्हता रखता है और मौजूदा प्रतिनिधित्व 21वीं सदी की वास्तविक भू-राजनीतिक परिस्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता।

ह्यूसजेन ने सह अध्यक्षों को कहा, ‘‘ गेंद आपके पाले में है। आप के पास इस बार प्रगति करने का मौका है, सुधार की चाह रखने वाले सभी देशों के साथ काम कर वास्तव में ‘प्रगति’ लाने का मौका है।’’

जी-4 ने आईजीएन की प्रक्रिया, पिछले साल मार्च में जहां छूटी थी वहीं से शुरू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि आईजीएन का पांच चरण का पुराना रास्ता और प्रत्येक में पांच में से एक संकुल से बात करना मददगार साबित नहीं होगा।

जी-4 ने कहा, ‘‘ इसका मतलब गोल-गोल घूमना और तर्कों को दोहराना होगा जिन्हें हम अनगिनत बार सुन चुके हैं।’’

समूह ने कहा कि पीठ को कीमती समय नहीं गंवाना चाहिए और सुझाव दिया कि पिछले साल चर्चा के लिए सामने आए दो दस्तावेजों को मिलाकर चर्चा शुरू करनी चाहिए।

भाषा धीरज मानसी

मानसी

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