भारत ने चक्रवात प्रभावित श्रीलंका में मानवीय सहायता का विस्तार किया
भारत ने चक्रवात प्रभावित श्रीलंका में मानवीय सहायता का विस्तार किया
कोलंबो, तीन दिसंबर (भाषा) भारतीय उच्चायोग ने बुधवार को कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत श्रीलंका को अपनी मानवीय सहायता जारी रखी है, जिसमें व्यापक हवाई, समुद्री और जमीनी अभियान चलाकर चक्रवात ‘दित्वा’ से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाई जा रही है।
बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहे श्रीलंका में बुनियादी संरचनाएं ध्वस्त होने से कई जिले अलग-थलग पड़ गए हैं और देश की आपदा प्रतिक्रिया क्षमता पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है।
सोलह नवंबर से बुधवार शाम तक चक्रवात के प्रभाव से बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में 479 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 350 लोग लापता हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 14 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, तथा 2,33,000 से अधिक लोग 1,441 राहत केंद्रों में शरण लिए हुए हैं।
भारतीय उच्चायोग ने कहा, ‘भारतीय बचाव टीम ने कई जिलों में बड़े पैमाने पर जीवन रक्षक निकासी अभियान जारी रखा है, तथा दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों से असुरक्षित निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।’
पुट्टलम में, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मियों ने गर्भवती माताओं, तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता वाले लोगों समेत संकटग्रस्त व्यक्तियों को बचाया और अभियान के दौरान 800 फंसे हुए लोगों को आवश्यक राहत सामग्री पहुंचाई।
भारतीय उच्चायोग ने कहा, ‘मध्य क्षेत्र में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम दिया। हवाई मार्ग से 5.5 टन से अधिक राहत सामग्री पहुंचाई गई और उन स्थानों से बेहद जोखिम वाले निकासी अभियान चलाए, जहां उतरना असंभव था।’
कोटमाले में महिलाओं और बच्चों सहित 24 लोगों को सुरक्षित कोलंबो पहुंचाया गया।
मंगलवार को, भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने आठ टन से ज़्यादा राहत सामग्री पहुंचाई और बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों सहित 65 फंसे हुए लोगों को निकाला। कल निकाले गए लोगों में जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के नागरिक भी शामिल थे।
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में श्रीलंका को भारत के निरंतर सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘सागर-बंधु पहल के तहत भारत की त्वरित सहायता हमारी साझेदारी की गहराई और हमारे देशों के बीच स्थायी सद्भावना को रेखांकित करती है।’
भारत ने पिछले महीने ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ शुरू किया था, जो मानवीय सहायता और आपदा राहत पहल है। इसका उद्देश्य चक्रवात ‘दित्वा’ से हुई तबाही से उबरने में श्रीलंका की सहायता करना है।
इस बीच, श्रीलंका ने देश के 25 प्रशासनिक जिलों में से 22 को ‘आपदा क्षेत्र’ घोषित कर दिया है, जबकि एक विशेष कैबिनेट बैठक में ‘दित्वा’ के बाद के पुनर्निर्माण कार्यों के लिए पूरक व्यय अनुमानों को मंजूरी दी गई।
सरकार ने मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 2010 के तहत एक राजपत्र में देश के 25 प्रशासनिक जिलों में से 22 को आपदा क्षेत्र घोषित किया।
अधिकारियों ने कहा, ‘तीन दक्षिणी जिलों को छोड़कर बाकी सभी जिलों को (अधिसूचना में) शामिल किया गया है। ऐसा ‘दित्वा’ आपदा में अब तक हुई बड़ी संख्या में मौतों और लापता लोगों की संख्या को देखते हुए किया गया है।’
अधिकारियों ने बताया कि हालात से निपटने के लिए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की अध्यक्षता में कैबिनेट की विशेष बैठक की गई।
आवश्यक सेवाओं के आयुक्त जनरल प्रभात चंद्रकीर्ति ने संवाददाताओं को बताया कि चक्रवात से श्रीलंका को कुल छह से सात अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है, जो द्वीपीय राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3-5 प्रतिशत है।
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश

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