भारत अपने पड़ोस में सुरक्षा मुद्दों से संबंधित घटनाक्रम पर नजर रखता है : जयशंकर

भारत अपने पड़ोस में सुरक्षा मुद्दों से संबंधित घटनाक्रम पर नजर रखता है : जयशंकर

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  • Publish Date - August 17, 2022 / 08:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:05 PM IST

बैंकॉक, 17 अगस्त (भाषा) एक चीनी अनुसंधान पोत के श्रीलंका में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह पर लंगर डालने के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत अपने पड़ोस में किसी भी ऐसे घटनाक्रम की निगरानी करता है, जिसका उसकी सुरक्षा पर असर पड़ता है।

उन्होंने मंगलवार को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर मिसाइल एवं उपग्रह ट्रैकिंग पोत ‘युआन वांग 5’ के लंगर डालने के बारे में पूछे जाने पर यह टिप्पणी की। जयशंकर भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की 9वीं बैठक में भाग लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे।

संयुक्त आयोग की बैठक के बाद थाईलैंड के अपने समकक्ष डोन प्रमुदविनई के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल पर जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे पड़ोस में जो कुछ भी होता है, कोई भी घटनाक्रम, जिसका हमारे सुरक्षा मुद्दों पर प्रभाव पड़ता है, उस पर हमारी नजर रहती है।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कुछ समय पहले एक प्रवक्ता ने कहा था, हम स्पष्ट रूप से किसी भी घटनाक्रम की बहुत सावधानी से निगरानी करते हैं, जिसका हमारे हितों पर असर पड़ता है। ’’

श्रीलंकाई अधिकारियों ने कहा है कि चीनी पोत 22 अगस्त तक दक्षिणी श्रीलंकाई बंदरगाह पर रहेगा। पोत मूल रूप से 11 अगस्त को चीनी संचालित बंदरगाह पर पहुंचने वाला था, लेकिन श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा अनुमति के अभाव में इसमें देरी हुई।

भारत की चिंताओं के बीच श्रीलंका ने चीन से पोत की यात्रा टालने को कहा था। शनिवार को, कोलंबो ने 16 से 22 अगस्त तक पोत को बंदरगाह तक पहुंच इस शर्त के साथ प्रदान की कि वह केवल श्रीलंका के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के भीतर स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) को चालू रखेगा और कोई वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं किया जाएगा।

चीन का कहना है कि पोत का इस्तेमाल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किया जाता है, लेकिन अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि पोत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की कमान के अंतर्गत है और उपग्रहों और मिसाइल प्रक्षेपणों को ट्रैक करने में सक्षम है। चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि पोत ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार’ वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहा है।

भाषा आशीष अविनाश

अविनाश